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आजाद भारत में किसी महिला को होगी फांसी, जाने हर बार बक्सर की रस्सी क्यों होती है इस्तेमाल

आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा दी जा रही है। 2008 में यूपी में अमरोहा के बावनखेड़ी में...
आजाद भारत में किसी महिला को होगी फांसी, जाने हर बार बक्सर की रस्सी क्यों होती है इस्तेमाल

आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा दी जा रही है। 2008 में यूपी में अमरोहा के बावनखेड़ी में परिवार के सात सदस्यों को प्रेमी के संग मिलकर मौत के घाट उतारने के बाद आरोपी शबनम को फंसी की सजा सुनाई गई है। निर्भया मामले से लेकर कई बड़ें मामलों में आरोपियों को बक्सर की रस्सी से ही फांसी दी गई है। उम्मीद है कि शबनम को फांसी देने के मामले में भी रस्सी बक्सर से ही लाई जाएगी। अब यह सवाल सभी के मन में आता होगा कि फांसी के लिए रस्सियां बक्सर से ही क्यों मंगवाई जाती है। आइए जाने बक्सर की रस्सियों की विशेषताएं-

किसी भी फांसी से पहले बक्सर जेल को दो महीने पहले से रस्सियां तैयार करने के आदेश दिए जाते हैं। जिसके बाद यहां रस्सियां बनाने का काम शुरू हो जाता है। फांसी के दस-पंद्रह दिन पहले उन रस्सियों को आखरी बार फिनिशिंग दी जाती है।

बक्सर में रस्सी बनने का इतिहास पुराना

बक्सर में आजादी के पहले 1930 से फांसी की रस्सियां बनाने का काम किया जा रहा है।न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार यहां की रस्सियां विशेष होती हैं जिन्हें मनीला रोप या मनीला रस्सी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यह रस्सियां बहुत मजबूत होती हैं जो कई सारे कामों में प्रयोग की जाती है। बताया जाता है कि यहां की रस्सियों की दी गई फांसी कभी फेल नहीं हुई है।

यह रस्सी विशेष गड़ारीदार रस्सी होती है जो सबसे पहले फिलीपींस के एक पौधे से बनाई गई थी।  इस रस्सी पर पानी का कोई असर नहीं होता है यह पानी सोख लेती है। इसमें लगाई गई गांठ भी कड़ी होती है।


रस्सी बनाने के लिए प्रभावी पर्यावरण

बक्सर की जेल में कैदियों को भी रस्सी बनाने का हुनर सिखाया जाता है। इन रस्सियों को बनाने के लिए जे-34 कॉटन पंजाब के भटिंडा से मंगाए जाते थे, लेकिन अब यह पटना से एक प्राइवेट एजेंसी द्वारा भेजे जाते हैं। माना जाता है कि जेल के पास ही गंगा नदी बहने से यहां की आंद्रता भी इसकी मजबूती को बनाने में मदद करती है।

रस्सी में प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं

बक्सर में फांसी के लिए रस्सी तैयार करने के लिए मोम का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही सूत, फेविकोल, पीपल का बुश, पैराशूट रोप आदि का इस्तेमाले किया जाता है। यहां जेल के अंदर एक पावरलुम मशीन लगी है जो धागों की गिनती कर अलग करती है और एक फंदे में 720 धागों का इस्तेमाल करती है।

रस्सी की लंबाई

वैसे तो आमतौर पर फांसी के लिए 6 फीट की रस्सी का प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसे कैदी की लंबाई के हिसाब से बढ़ाया भी जा सकता है। एक रस्सी का वजह 4 या उससे अधिक होता है। इस रस्सी की कीमत 1 से 2 हजार तक की होती है, लेकिन अब यह महंगी हो गई है।

जानिए बक्सर की रस्सी में कितना है दम

बक्सर में बनी रस्सी 80 किलों वजन तक वाले किसी को भी आराम से लटका सकती हैं। किसी को फांसी देने से एक हफ्ते पहले यह रस्सी पहुंचा दी जाती है जिससे जल्लाद इसे फांसी देने का अभ्यास अच्छे से कर सके। रस्सी मिलने के बाद फांसी देने का पूरा काम जल्लाद पर टिका हुआ है।

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