सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लांस नायक हनुमनथप्पा नहीं रहे। उन्होंने सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर अंतिम सांस ली। मद्रास रेजिमेंट के 33 वर्षीय सैनिक के परिवार में उनकी पत्नी महादेवी अशोक बिलेबल और दो वर्ष की एक बेटी नेत्रा कोप्पाड है। कर्नाटक के धारवाड़ के बेटादूर गांव के रहने वाले कोप्पाड 13 वर्ष पहले सेना से जुड़े थे।3 फरवरी को सियाचिन में 19,600 फुट की उंचाई पर हुए हिमस्खलन की वजह से बर्फ में दबने के बावजूद हनमनथप्पा छह दिन तक मौत को मात देने में सफल रहे थे। उन्हें चमत्कारी मानव का नाम दिया गया है। सैनिक अस्पताल के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों, मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष, एक वरिष्ठ किडनी रोग विशेषज्ञ और एक वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट और एम्स के विशेषज्ञों के एक पैनल ने कल उनकी हालत की समीक्षा की थी।
बहादुर सैनिक हनुमनथप्पा कोप्पड़ की मृत्यु की खबर आते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। पिछले कई दिनों से देश के कोने-कोने में लोग सैनिक की जिंदगी के लिए दुआएं मांग रहे थे। कोप्पाड के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक प्रकट किया। उन्होंने ट्वीट किया, हनुमनथप्पा हमें उदास और व्यथित छोड़ गए हैं। लांस नायक हनुमनथप्पा की आत्मा को शांति मिले। आपके अंदर जो सैनिक था वह अमर है। हमें गर्व है कि आप जैसे शहीदों ने भारत की सेवा की। पीएम मोदी अस्पताल में हनुमंथप्पा को देखने भी गए थे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी बहादुर सैनिक की मृत्यु पर गहरा सदमा और दुख जाहिर किया है। उन्होंने कहा, अपने जीवन काल में भारत के इस वीर सपूत ने पूरे देश की जनता को एकजुट कर दिया। पूरे देश ने उनकी सलामती के लिए दुआएं मांगी और आज हर नागरिक उनके लिए दुखी है। हनुमनथप्पा के परिवार और उनके परिजन को भेजे अपने शोक संदेश में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, उन्होंने अपने आखिरी समय तक लड़ते हुए अदम्य साहस, बहादुरी और निष्ठा दिखाया जो हमारी सेना की विशिष्ट पहचान है। हनुमनथप्पा की मृत्यु पर शोक जताते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उनकी बहादुरी को सलाम किया। बनर्जी ने ट्वीट किया, लांस नायक हनुमनथप्पा की मृत्यु के समाचार से दुखी हूं। बहादुर सैनिक ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्हें और हादसे में मारे गए उनके साथियों को सलाम।