दिल्ली हाईकोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) के तहत विवाहों पर आपत्तियां दर्ज करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करने के प्रावधान को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और आम आदमी पार्टी (आप) की अगुवाई वाली केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा है।
मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने विधि मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके उनसे जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि अन्य धर्म के व्यक्ति से विवाह करने वाले दम्पत्ति को 30 दिवसीय नोटिस अवधि दूसरे धर्म में विवाह करने से हतोत्साहित करती है।
दम्पत्ति की तरफ से पेश हुए वकील उत्कर्ष सिंह ने कहा कि समान धर्म के लोगों के बीच विवाह के संबंध में ‘पर्सनल कानूनों’ में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।