देश में कोरोना के नए मामलों में गिरावट के बाद लोग लापरवाही बरतने लगे हैं। इस बीच स्विजरलैंड के वैज्ञानिकों ने सुपर वैरिएंट की चेतावनी दी है। इसे नए खतरे के रूप में देखा जा रहा है। जिसपर स्विट्जरलैंड के बासेल स्थित फेडरल टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के इम्युनोलॉजिस्ट डॉ. साई रेड्डी का कहना है कि सुपर वैरिएंट के लिए कोरोना वैक्सीन पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता है। इससे बचाव के लिए ज्यादा असरदार और सुरक्षित वैक्सीन की आवश्यकता है। यह नया सुपर वैरिएंट मौजूदा सभी वैरिएंट को अपने भीतर समाहित कर सकता है। उन्होंने आगे कहा की दक्षिण अफ्रीका में मिला बीटा और ब्राजील में मिला गामा वैरिएंट पर भी कोरोना वैक्सीन पर कम असरदार है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. रेड्डी कहते हैं कि दुनिया से यह कोरोना महामारी कब जाएगी इस बात का तो पता नहीं। इस स्थिति में कोविड-19 भी कोविड-22 बन सकता है, जो अधित घातक साबित होगा। डॉ. बताते हैं कि आने वाले सुपर वैरिएंट से सभी को खतरा हो सकता है, क्योंकि वायरस इम्युनिटी को तोड़ने के हिसाब से ही खुद को तैयार करेगा।
देश में वैक्सीनेशन की स्थिति को लेकर डॉ. रेड्डी कहते हैं कि दुनिया में वैक्सीनेशन की दर संक्रमण दर से कम है। वैक्सीन लगवाने के बाद भी लोगों को संक्रमण से कम खतरा है। वैक्सीन नहीं लगवाने वालों को इस महामारी के संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है। ऐसी स्थिति में सुपर स्प्रेडर हो सकता है। दुनिया में वैक्सीन न लगवाने वाले लोग खतरनाक साबित हो सकते हैं।