जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। भारत में पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट को सस्पेंड कर दिया गया है। यह कार्रवाई भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर पाकिस्तान की मौजूदगी को सीमित करने की दिशा में एक बड़ा संकेत है। यह कदम उस भयावह हमले के ठीक एक दिन बाद उठाया गया। जिसमें कश्मीर के बैसरण में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई।
इस हमले में मारे गए लोगों में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल था। यह पिछले 25 वर्षों में कश्मीर में नागरिकों पर हुआ सबसे घातक हमला है। हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार से आतंकवाद को प्रोत्साहन देने का आरोप लगाया।
गौरतलब है कि बुधवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की एक आपात बैठक आयोजित की गई। जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त फैसले लिए गए। बैठक में 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का निर्णय लिया गया।
यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल संसाधनों के बंटवारे के लिए बनाई गई थी। इस संधि के तहत, सिंधु, झेलम और चिनाब को पश्चिमी नदियां माना गया और इनका जल मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित किया गया। वहीं, रावी, ब्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां घोषित करते हुए इनका जल भारत के उपयोग के लिए निर्धारित किया गया।
संधि के अनुसार, भारत को पूर्वी नदियों के पानी के निर्बाध उपयोग का अधिकार प्राप्त है, हालांकि कुछ अपवाद इसमें शामिल हैं। पश्चिमी नदियों को लेकर भारत को भी सीमित उपयोग की अनुमति दी गई थी, जैसे कि बिजली उत्पादन, सिंचाई के लिए पानी का सीमित उपयोग आदि। संधि के अंतर्गत सिंधु जल आयोग की स्थापना की गई।
इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को कम करते हुए उसके सैन्य प्रतिनिधियों को निष्कासित करने की घोषणा की। इसके अलावा, भारत-पाक सीमा पर स्थित अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को भी तुरंत बंद कर दिया गया।
भारत सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अब SAARC वीजा छूट योजना के तहत पाकिस्तानी नागरिकों को भारत आने की अनुमति नहीं दी जाएगी और पूर्व में जारी ऐसे सभी वीजा रद्द कर दिए गए हैं।
भारत सरकार के इन सख्त फैसलों को "आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस" नीति का हिस्सा माना जा रहा है। यह कदम ना केवल पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करने की कोशिश है, बल्कि देश के भीतर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक निर्णायक कदम है।