विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि जब तक पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और स्थायी रूप से समाप्त नहीं किया जाता, तब तक भारत सिंधु जल संधि को निलंबित रखेगा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब कश्मीर पर चर्चा के लिए केवल एक मुद्दा शेष है – पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से अवैध कब्जा हटाना।
जयशंकर ने यह भी कहा, “हम उस चर्चा के लिए तैयार हैं।” उन्होंने दोहराया कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि "पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।"
भारत के इस रुख पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है और भारत से सिंधु जल संधि के निलंबन पर पुनर्विचार करने की अपील की है, क्योंकि यह उसके जल संसाधनों पर असर डाल सकता है।
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच बनी सिंधु जल संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, जो सिंधु नदी प्रणाली के जल के बंटवारे को नियंत्रित करती है।
यह निर्णय हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आया है, जिसमें कई निर्दोष नागरिक मारे गए थे। भारत सरकार का कहना है कि अब समय आ गया है जब पाकिस्तान को अपनी जमीन से संचालित हो रहे आतंकवाद को रोकना होगा, वरना द्विपक्षीय समझौतों का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।