पिछले साल बाबा रामदेव ने रोहतक में आयोजित सद्भावना सम्मेलन में कहा था कि कुछ लोग टोपी पहनकर कहते हैं कि भले ही सिर कट जाए, लेकिन वे भारत माता की जय नहीं बोलेंगे। बयान जारी रखते हुए आगे उन्होंने कहा था, 'हमारे हाथ कानून से बंधे हैं, नहीं तो लाखों सिर काटने की हिम्मत रखते हैं।'
बाबा के इस बयान के बाद कांग्रेस नेता सुभाष बतरा ने रामदेव के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज करने की अपील की। पुलिस ने जब रामदेव के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया तो बतरा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
बतरा की अपील पर संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट हरीश गोयल ने दो मार्च को रामदेव के खिलाफ समन जारी किया था। हालांकि बतरा की याचिका पर अदालत ने पहले भी बाबा रामदेव को समन जारी किए थे, लेकिन वह अदालत में पेश नहीं हुए।
केस पर अगली तारीख पर याचिका की सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेट ने रामदेव के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिए। अदालत ने जमानत के तौर पर रामदेव को एक लाख रुपये का निजी मुचलका भरने को कहा है। साथ ही उन्हें 14 जून को कोर्ट में पेश होने के निर्देश भी दिए गए हैं।