मुख्यमंत्री ने पीड़ित पक्ष के रेफ्रिजरेटर से बरामद मांस की मथुरा स्थित फोरेंसिक प्रयोगशाला द्वारा की गयी जांच की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर उस रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े कर दिये। उन्होंने कहा मांस का वह सैम्पल कहां मिला। उसके घर पर कोई चीज एेसी नहीं थी, जिस पर आपत्ति हो। वो चीज फ्रिज में नहीं थी, आप आपत्ति नहीं कर सकते। उस मामले पर सबकी नजर है। सब चाहते हैं कि परिवार को न्याय मिले। उस परिवार में हत्या हुई है। अखिलेश ने कहा जब हत्या हुई थी तब दुनिया में बहस छिड़ी थी कि कौन क्या खाता है, कौन क्या पहनता है, कौन क्या भाषा बोलता है। मैं समझता हूं कि इन विवादों से दूर रहना चाहिये।
दूसरी ओर, गोरक्षपीठाधीश्वर और भाजपा सांसद आदित्यनाथ ने बीफ खाने की आशंका में पीट-पीटकर मारे गये अखलाक नामक व्यक्ति के परिवार के खिलाफ गोहत्या का मुकदमा दर्ज करने और उसे मिली सरकारी सहायता वापस लेने की मांग की है। आदित्यनाथ ने गोरखपुर में कहा यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार, देश के विपक्षी दलाें और मीडिया के एक वर्ग को कठघरे में खड़ा करती है। इस पर ये सब मौन रहेंगे लेकिन हम मांग करेंगे कि बिसाहड़ा काण्ड में जिन निर्दोष हिन्दुओं को जेल में बंद किया गया है, उन्हें छोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि देश में गोहत्या कानूनन अपराध है, लिहाजा अखलाक के परिवार के खिलाफ गोहत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए और उसे दी गयी सरकारी सहायता वापस ली जाए।
मालूम हो कि गौतमबुद्धनगर जिले के दादरी स्थित बिसाहड़ा गांव में पिछले साल 28 सितम्बर को अपने घर में गोमांस खाने की आशंका में भीड़ ने अखलाक नामक व्यक्ति के घर में घुस कर उसे तथा उसके बेटे दानिश को मारा-पीटा था। इस वारदात में अखलाक की मौत हो गयी थी। इस मामले में उस समय एक नया मोड़ आया, जब मथुरा स्थित एक फाॅरेन्सिक लैब की रिपोर्ट में कहा गया कि मृतक के मकान से मिला गोश्त दरअसल गोमांस ही था। मथुरा लैब की रिपोर्ट उस प्राथमिक रिपोर्ट से उलट है जो उत्तर प्रदेश के पशु चिकित्सा विभाग ने जांच के बाद दी थी। विभाग की प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया था कि अखलाक को जिस मांस की वजह से भीड़ ने कथित तौर पर पीट पीट कर मार डाला था वह बकरे का मांस था।