न्यायालय ने 2:1 के बहुमत से फैसला सुनाया और गोपाल अंसल को एक साल कारावास की शेष सजा पूरी करने के लिए चार सप्ताह में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।
न्यायालय ने बड़े भाई सुशील अंसल की अधिक उम्र को ध्यान में रखते हुए उन्हें राहत दी और उन्हें उतने ही समय की सजा सुनायी जितनी अवधि वह जेल में गुजार चुके हैं। इस अवधि में उन्हें दी गई छूट भी शामिल है।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने बहुमत के फैसला में कहा कि न्यायालय द्वारा सुशील और गोपाल अंसल पर लगाया गया 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना अत्यधिक नहीं है।
न्यायमूर्ति गोगोई और न्यायमूर्ति जोसेफ ने बहुमत का फैसला दिया जबकि न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल अल्पमत में थे।
उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश सीबीआई और पीडि़तों की संस्था की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया। याचिकाओं में मामले में वर्ष 2015 में सुनाए गए फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया था। इस फैसले में कहा गया था कि जुर्माने के रूप में 30-30 करोड़ रपए नहीं देने पर सुशील अंसल और गोपाल अंसल को दो साल की कैद की सजा भुगतनी होगी।
जांच एजेंसी और उपहार त्रासदी पीडि़त संघ ने उच्चतम न्यायालय के 19 अगस्त 2015 के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था। इस फैसले में कहा गया था कि जुर्माने के रूप में 30-30 करोड़ रुपए नहीं देने पर सुशील अंसल और गोपाल अंसल को दो साल कड़े कारावास की सजा भुगतनी होगी। दोषी पहले ही जुर्माना भर चुके है।
दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके में उपहार थियेटर में 13 जून 1997 को बार्डर फिल्म दिखाए जाने के दौरान आग लगने के बाद दम घुटने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद मची भगदड़ में 100 से अधिक लोग घायल भी हो गए थे। भाषा