केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एक आरटीआई के जवाब में कहा कि उत्तराखंड में गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक गंगा का पानी प्रदूषित हो गया है। वह इतना अधिक गंदा हो गया है कि वह अब नहाने लायक भी नहीं रहा।
सीपीसीबी ने गंगोत्री से हरिद्वार के बीच करीब 10 जगहों से गंगाजल का सैंपल लिया और उसकी जांच में कई हानिकारक कारकों की उपस्थिति पाई।
आरटीआई में इस जांच की रिपोर्ट मांगी गई थी। सीपीसीबी के वैज्ञानिकों ने की मानें तो गंगाजल में ई कोलाई बैक्टीरिया की संख्या पहले के मुकाबले काफी अधिक पाई गई है। इसके अलावा गंगा में बीओडी और डीओ का पैमाना भी बढ़ गया है।
सीपीसीबी ने कहा कि एक लीटर पानी में बीओडी यानी बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर 3 मिलीग्राम से कम होना चाहिए। यह एक मानक पैमाना है। वहीं गंगाजल के नमूनों में बीओडी की मात्रा 6.4 मिलीग्राम से अधिक पाई गई।
जांच के अनुसार हर की पौड़ी में ई कोलाई काफी पाए गए हैं। यहां हर 100 मिलीलीटर पानी में ई कोलाई बैक्टीरिया 90 एमपीएन होना चाहिए पर यह यहां करीब 1600 एमपीएन पाई गई। इसके अलावा ऑक्सीजन डिसाल्व प्रतिलीटर 4-10.6 मिलीग्राम पाई गई। इसका मानक पैमाना 5 मिलीग्राम है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने गंगा को साफ करने की मुहिम चलाई हुई है। लेकिन अब तक एक दो जगह को छोड़कर गंगा के प्रदूषण में कमी नहीं आई हुई है।