संस्थान की रिपोर्ट ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2016 में कहा गया है कि भूख के मामले मेंं 118 देशों की सूची में भारत का स्थान 97वां है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया हैं कि अपने लोगों का पेट भरने के मामले में भारत नेपाल, बांग्लादेेश और श्रीलंका जैसे देशों से भी पीछे हैं। रिपोर्ट के अनुसार हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भूख की स्थिति में मामूली सुधार दर्ज किया गया है लेकिन जब अगले दस वर्षों मे भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा,तब स्थिति बदतर हो जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत मेंं वर्तमान समय में 15.2 फीसदी लोग आध्ाा पेट खाकर जीवन गुजारते हैं जबकि पांच साल तक के 38.7 फीसदी बच्चे भरपेट खाना नहीं मिलने के कारण कमजोरी का शिकार हैं।
जानकारों की मानें तो रिपोर्ट विकास के तमाम दाबों को झुठलाती नजर आती है। विकास के बड़े-बड़े वादों के बीच यह बताती है कि कहां और किस दिशा में सरकार को कारगर कदम उठाना चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी, कुपोषण जैसे मसलों पर गंभीर प्रयासों पर बल देती है।
रिपोर्ट में जिन देशों की स्थिति भारत से बेहद खराब है उनमें निजेर, चाड, इथोपिया, सियरा लियोन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान भी शामिल हैं। भारत के अन्य पड़ोसी नेपाल, चीन, और बांग्लादेश इस सूची में भारत से बेहतर बताए गए हैं। ये सूची कुपोषित आबादी, 5 से कम उम्र के कुपोषित बच्चे और इसी आयु वर्ग की शिशु मृत्यु दर के आधार पर बनाई जाती है।
इस रिपोर्ट में अलग-अलग देशों में लोगों को मिलने वाले आहार की क्वालिटी और मात्रा को आंका जाता है। इसके जरिए दुनिया भर में भूख को खत्म करने के लिए चलाए जा रहे अभियान की उपलब्धियों और असफलताओं को दर्शाया जाता है। इंटनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इसे शुरू किया था। जर्मन की संस्थान वेल्ट हंगरलाइफ ने इसे वर्ष 2006 में जारी किया था। इस बार से रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावित 2030 के एजेंडे से भी जोड़ा गया है जिसमे 'जीरो हंगर' का लक्ष्य रखा गया हैै।