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बंपर मतदान पर धांधली की छाया

बंगाल, असम और केरल में मतदाताओं को प्रभावित करने के तमाम हथकंडों पर चुनाव आयोग खामोश है।
बंपर मतदान पर धांधली की छाया

धमकी, फिर मुफ्त में अनाज और फिर मारपीट-हिंसा। बंगाल और असम में बंपर मतदान के आंकड़ों की छाया में कई अप्रिय सत्य गुम हो गए हैं। गुम हुए तथ्यों की कहानी 30 हजार से ज्यादा शिकायतें कह रही हैं जो चुनाव आयोग के पास जमा पड़ी हैं। इक्का-दुक्का शिकायतों को छोड़कर अधिकांश मामलों में अब भी कार्रवाई का इंतजार है। असम में जनजातीय समुदायों को लुभाने में राजनीतिक दलों ने कई हथकंडे अपनाए हैं। दूसरी ओर, केरल में राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले कन्नूर जिले में राजनीतिक हिंसा परवान पर है।

बंगाल में इस बार राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की 'मुड़ी और अनाज डिप्लोमेसी’ की खूब चर्चा है। साथ ही, आधार कार्ड और वोटर आई कार्ड जमा किए जाने की भी। बंगाल, हुगली और जंगलमहल के जिलों - मेदिनीपुर, बांकुड़ा, वीरभूम और पुरुलिया के इलाकों में मतदान केंद्रों के ठीक बाहर मूड़ी और अनाज बांटते लोग खूब दिख रहे हैं। अधिकांश कार्यकर्ता सत्ताधारी दल के हैं जो वोटरों को कह रहे हैं कि 'वोट दो और मुड़ी या चावल ले जाओ।’ स्थानीय मीडिया में इस तरह की तस्वीरें खूब छप रही हैं जिनके आधार पर चुनाव आयोग को शिकायतें भेजी जा रही हैं। नलहाली के करनजी केंद्र पर तृणमूल कांग्रेस की पंचायत सदस्य मरजीना बीवी के पति इमानुर रहमान को अपने गांव में इसी तरह की जिम्मेदारी दी गई है। वह कहते हैं, 'चुनाव का मतलब है उत्सव। हमलोग पिकनिक के मूड में हैं। गांववालों को पिकनिक मनाने से कौन रोकेगा।’ लेकिन पिकनिक के पीछे अच्छी-खासी योजना होती है- यह हर कोई जानता है।

 

दुबराजपुर के पदुमा पंचायत में सिकंदराबाद गांव में मूड़ी लेने वाले ग्रामीणों के आधार कार्ड जमा किए जाने की चर्चा है। तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता और स्थानीय स्तर पर 'धाक रखने वाले’ गौतम नस्कर कहते हैं, 'जो लोग हमसे मूड़ी और अनाज ले रहे हैं, वे सभी हमारे ही वोटर हैं। सभी गांव वालों ने भरोसा कर मेरे पास आधार कार्ड जमा कराया है।’ लोगों के आधार कार्ड चुनाव नतीजे आने के बाद वापस किए जाएंगे। जाहिर है, कार्यकर्ता एक-एक बूथ के वोटरों का हिसाब रख रहे हैं। इस काम में स्थानीय बाहुबलियों की सेवाएं ली जा रही हैं और इस काम में हर राजनीतिक दल आगे है।

बंगाल में चुनाव में हिंसा और बाहुबल का खुलकर इस्तेमाल हो रहा है और इससे बंगाल राजनीतिक हिंसा की अपनी पुरानी पहचान की ओर लौट रहा है। दूसरे चरण के मतदान के दौरान सभी 31 विधानसभा इलाकों में हिंसा हुई है। कई जगह तो उम्मीदवारों को भी जमकर पीटा गया। मतदान केंद्रों पर केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान तैनात किए गए हैं लेकिन बूथ से कुछ मीटर दूर ही राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता एक-दूसरे और वोटरों को धमकाते दिखे।

मतदान के दौरान मेदिनीपुर के साबंग इलाके से हिंसा का आगाज दो दिन पहले हो गया। सत्ताधारी पार्टी के एक कार्यकर्ता की हत्या का आरोप कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवार डॉ. मानस भुइयां और उनके 22 समर्थकों पर लगा है। मतदान के दौरान पश्चिम मेदिनीपुर समेत आठ जिलों में उस घटना का असर दिखा। दक्षिण बंगाल के बर्दवान, जामुड़िया, कुलटी, रानीगंज, चंद्रकोना, साबंग, बांकुड़ा के सोनामुखी में प्रतिपक्ष के उम्मीदवार को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता ने पीटकर भगा दिया। जामुडिय़ा में माकपा के एक पोलिंग एजेंट की जमकर पिटाई की गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कई जगह बम विस्फोट किए गए। विष्णुपुर में तो कांग्रेस के उम्मीदवार पर हमला किया गया। बांकुड़ा के सोनामुखी और पात्रसायर इलाके में आग्नेयास्त्र लेकर असामाजिक तत्व बूथों के चक्कर लगाते रहे। प्रतिपक्षी एजेंटों पर हमले भी करने की शिकायतें आई हैं।

नारायणगढ़ विधानसभा इलाके में माकपा के उम्मीदवार सूर्यकांत मिश्र को तृणमूल समर्थकों ने बूथ पर नहीं जाने दिया। कभी माकपा का गढ़ रहे केशपुर इलाके के 50 फीसद बूथों पर विपक्षी कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन अपना एजेंट ही नहीं दे सका। कई इलाकों में केंद्रीय बलों के जवानों को सटीक ढंग से तैनात नहीं किए जाने के आरोप लगाए गए हैं। माकपा के सचिव और नारायणगढ़ से उम्मीदवार सूर्यकांत मिश्र ने आउटलुक को बताया, 'केंद्रीय वाहिनी को ठीक से तैनात नहीं किया गया। जहां बूथ लूटे जा रहे हैं, वोटरों को धमकाया जा रहा है- वहां जवानों को बूथ के भीतर या दूर कोने में तैनात किया गया है।’ कांग्रेस के सांसद प्रदीप भट्टाचार्य के अनुसार, 'बूथ जाम कर दिया गया और कई जगह वोटरों को धमका कर लौटा दिया गया।’ केशपुर में तृणमूल कांग्रेस की एक महिला एजेंट के कपड़े फाड़ दिए गए और उसे पूरी तरह नग्न करने की धमकी देकर तृणमूल के ही अन्य एक गुट के समर्थकों ने भगा दिया। उसके कपड़े उतारकर नीलामी पर चढ़ाने की धमकी दी गई। इस मामले में दो को गिरफ्तार किया गया है। जामुड‌़िया में तृणमूल-भाजपा समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें हो रही हैं।

इस घटनाओं के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और चुनाव आयोग के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। लोकतंत्र के महापर्व के बीच इस तरह के घटनाक्रम को ठीक नहीं माना जा रहा है। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी लगातार मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी के साथ टकराव के रास्ते पर है। बंगाल चुनाव के दूसरे चरण से ठीक पहले चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी को आचार संहिता के उल्लंघन का कारण बताओ नोटिस दिया है। दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने नोटिस को अपने मतदाताओं के लिए भावनाओं का मुद्दा बनाते हुए 'पोइला बोइशाक’ यानी बंगाली साल के पहले दिन से जोड़ दिया। आयोग का नोटिस आसनसोल को जिला बनाए जाने के आश्वासन के बारे में है। इस बारे में ममता बनर्जी का कहना है कि वह आचार संहिता का इस प्रकार का उल्लंघन हजार बार करेंगी। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता और राज्य के मंत्री पार्थ चटर्जी का दावा है कि आसनसोल, कलिमपोंग, बशीरहाट, सुंदरवन और झाड़ग्राम को जिला बनाने का फैसला तो दिसंबर 2015 में ही कैबिनेट से हो चुका था। यह नया फैसला नहीं है जिसकी घोषणा की जा रही है। दरअसल, चुनाव आयोग को आपत्त‌ि इस बात पर है कि फैसला लागू नहीं किया गया और अब घोषणा क्यों? अगर अब घोषणा की जा रही है तो जाहिर है मंशा चुनाव में लाभ उठाने की है।

चुनावी हिंसा में अब तक आठ लोगों की जान गई है। मतदान के भारी प्रतिशत को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष- एक-दूसरे पर मतदाताओं को बरगलाने का आरोप लगा रहा है। जिन अफसरों पर राजनीतिक दलों के पक्ष में जरा भी काम करने का शक था, उनपर चुनाव आयोग ने कार्रवाई कर दी। अधिकांश ऐसे अफसर, ममता बनर्जी और उनके कैबिनेट के कई मंत्रियों के गुड बुक वाले हैं। 34 अधिकारियों के तबादले किए गए हैं या उन्हें चुनाव ड्यूटी से हटाया गया है। सर्वाधिक चर्चित मामला कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को हटाने का रहा। पश्चिम मेदिनीपुर की पूर्व एसपी भारती घोष भी चॢचत हो रही हैं। दरअसल, चुनाव आयोग के सामने एक तरफ निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने की चुनौती है। दूसरी ओर, तमाम घोटालों से घिरीं ममता हर हाल में दूसरा कार्यकाल प्राप्त करने की कोशिश में जुटी हैं। विपक्षी कांग्रेस और वाममोर्चा अपनी राजनीतिक जमीन वापस पाने के लिए पूरा दम लगा रहे हैं। ऐसे में टकराव स्वाभाविक माना जा रहा है।

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