चालू वित्त वर्ष 2016-17 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम पर अमल के लिए 43,499 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इसमे 36,134 करोड़ रुपये रायों को जारी कर दिया गया है। जबकि 12,581 करोड़ रुपये रायों को पिछले साल का बकाये के रूप में जारी किया गया।
योजना को आगे बढ़ाने के लिए मंत्रालय की ओर से 10 हजार करोड़ रुपये की मांग रखी गई है,जो बजटीय प्रावधान से अलग होगी। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है सूखे की वजह से मनरेगा में काम की मांग में इजाफा हुआ है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में जहां सूखे का असर अधिक रहा है, वहां मनरेगा में अधिक कार्यो की मांग निकली है। सूखे में ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से निर्धारित कार्य दिवसों की संख्या एक सौ से बढ़ाकर डेढ़ सौ कर दी गई थी। मनरेगा के प्रावधान के तहत हर जरूरतमंद व्यक्ति एक सौ दिन के रोजगार की मांग कर सकता है।
प्रमुख विरोधी दल कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर मनरेगा को दबाने का आरोप लगाया था, जिसे सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। ग्रामीण बेरोजगारों व किसानों को अतिरिक्त आय के रूप में रोजगार देने वाली योजना के रूप में मनरेगा पूरे देश में लोकप्रिय है। मजदूरों का पलायन रोकने में इसकी अहम भूमिका है। मनरेगा के तहत स्थायी कार्य कराने को अधिक तरजीह दी जा रही है। इसमें जल संरक्षण भूमि सुधार के साथ अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण शामिल है। योजना में बांध, सिंचाई चैनल्स, चेकडैम, तालाब और कुएं की खुदाई हो रही है।