निर्भया के चार दोषियों में से एक मुकेश ने चीफ जस्टिस से राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की है। मुकेश की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट उसकी याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करें। सुप्रीम कोर्ट ने इसे मुकेश के वकील को रजिस्ट्री के सामने मेंशन करने को कहा है।
वहीं, चीफ जस्टिस ने इस मामले पर कहा है कि अगर किसी को 1 फरवरी को फांसी की सजा होने वाली है तो जाहिर है कि उसकी याचिका पर सुनवाई को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, उन्होंने कुमार के वकील को शीर्ष अदालत के सक्षम अधिकारी से संपर्क करने को कहा। पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी थे।
शनिवार को डाली गई याचिका
निर्भया मामले में दोषी फांसी से बचने के लिए रोज नए-नए दांव चल रहे हैं। अब एक दोषी मुकेश सिंह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर ने राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देते हुए इसकी न्यायिक समीक्षा की मांग की है। ग्रोवर ने बताया कि यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दी गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघ्न चौहान मामले में दिए गए फैसले का भी हवाला दिया गया है।
मुकेश ने 1 फरवरी के लिए जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने की भी मांग की
बता दें कि मुकेश ने अर्जी में 1 फरवरी के लिए जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग भी की है। इससे पहले निर्भया केस के चार में तीन दोषियों विनय, पवन और अक्षय ठाकुर की ओर से वकील एपी सिंह ने शुक्रवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दाखिल कर तिहाड़ जेल प्रशासन से दोषियों से संबंधित कागजात उपलब्ध कराने की मांग की थी। शनिवार को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को कागजात उपलब्ध करा दिए।
निर्भया की मां बोलीं, एक फरवरी को दोषियों को फांसी हो ही जाए
इस बीच निर्भया की मां आशादेवी ने अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि बीते 7 वर्ष में उन्हें कई बार हताशा-निराशा का सामना करना पड़ा है। वे व्यवस्था से अपील करती है कि आगामी एक फरवरी को दोषियों को फांसी हो। उन्होंने संवाददाताओं से निर्भया के दोषियों को माफ किए जाने को लेकर उठ रही आवाजों से जुड़े प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि बीते 7 वर्ष से वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ रही है।
उन्होंने कहा क्रूरतम अपराध सामूहिक दुष्कर्म के बाद मौत से लड़ती उनकी बेटी की आखिर क्या गलती थी। उन्होंने कहा कि जिंदगी की जंग लड़ती उनकी बेटी को उन्होंने तड़पते-मरते हुए देखा है। ऐसी वेदना से ईश्वर सबको दूर रखें। आशा देवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीते 7 वर्षों में कोई मानव अधिकार का नुमाइंदा उनसे नहीं मिला है। उन्हें तारीख पर तारीख मिल रही है। अब आगामी एक फरवरी को सभी दोषियों को फांसी मिले, इससे निर्भया को इंसाफ मिलेगा।
सुरक्षित रखा आदेश
दिल्ली के एक सत्र न्यायालय ने निर्भया गैंगरेप मामले के एक और दोषी पवन के पिता द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। इस याचिका में उसने गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया था और कहा था कि गवाह को पहले से यह सिखाया गया था कि उसे किस सवाल के जवाब में क्या बोलना है।
1 फरवरी को सुबह 6 बजे दी जाएगी फांसी
निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा पर अमल के लिए एक फरवरी सुबह 6 बजे का डेथ वारंट जारी हो चुका है, लेकिन फांसी से बचने के लिए दोषी हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। दोषियों के वकील एपी सिंह ने अदालत में कहा कि जेल प्रशासन को कागजात प्रदान कराने संबंधी निर्देश जारी किए जाएं, जिससे वह फांसी की सजा पाए दोषियों को शेष कानूनी उपचार (उपचारात्मक याचिका और दया याचिका) उपलब्ध करा सके।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील इरफान अहमद ने कोर्ट को बताया कि दोषी के वकील की ओर से मांगे गए दस्तावेज पहले ही मुहैया कराए जा चुके हैं। हमारे पास रसीद भी है। अब दोषियों के वकील एपी सिंह गैरजरूरी दस्तावेजों का हवाला देकर जानबूझकर कर मामले को लटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
इससे पहले 22 जनवरी को सुबह 7 बजे होनी थी फांसी
इससे पहले उन्हें 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जानी थी, लेकिन एक दोषी ने दया याचिका दायर की थी और उसकी दया याचिका खारिज होने के बाद प्रक्रिया के तहत नया डेथ वॉरंट जारी किया गया। चारों दोषियों में मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता शामिल हैं। एक दोषी ने जेल में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
जानें क्या है पूरा मामला
बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। 23 वर्षीय निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप किया गया था और उसकी बुरी तरह पिटाई की थी। बाद में अस्पताल में निर्भया की मौत हो गई थी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से एक नाबालिग था। नाबालिग को किशोर अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जबकि राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। इसके अलावा बाकी 4 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।