जाकिर नाइक ने अपनी संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की ओर से साल 2011 में राजीव गांधी फाउंडेशन को 50 लाख रुपये का चंदा दिया था। राजीव गांधी फाउंडेशन का नेतृत्व तब भी सोनिया गांधी ही कर रही थी। नाइक के जांच एजेसिंयों के घेरे में आने के बाद यह बड़ी रकम लौटाने का फैसला किया गया है। यह फैसला इसी साल जुलाई महीने में फाउंडेशन की आपात बैठक में लिया गया था।
पैसे लेने का मामला सामने आने के बाद भाजपा नेता आरपी सिंह ने ट्वीट कर कांग्रेस और उसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी के इस फैसले को दूर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि नाइक को लेकर जांच तेज हो गई है, तब रकम लौटाने की बात हो रही है। इसके पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने नाइक को शांति दूत (मैन ऑफ पीस) कहा था। अब समझ में आ रहा है कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा था।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कौन जानता था कि जाकिर नाइक ऐसा आदमी है जो अपनी गतिविधियों की वजह से जांच के दायरे में आ जाएगा। हम कोई ज्योतिषी तो नहीं हैं। जब उसकी जांच की जा रही है तो चंदे की रकम लौटाने का फैसला किया गया है। राजीव गांधी फाउंडेशन की शुरुआत साल 2002 में की गई थी। इसका मकसद ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की मदद करना था।
नाइक ने चेक के जरिए सीधे संस्था के बैंक अकाउंट में चंदा जमा करा दिया था। राजीव गांधी फाउंडेशन ने तब इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को चिट्ठी लिखकर बताया था कि रकम का इस्तेमाल जनरल फंड के लिए होगा। रकम के साथ पैन कार्ड की सारी जानकारी भी मौजूद थी।