दक्षिण दिल्ली के एक पॉश कॉलोनी साकेत के एन ब्लॉक में रहने वाली 100 वर्षीय पद्म रंगनाथन शारीरिक अक्षमता के कारण चल नहीं सकती हैं। टीकाकरण केंद्र सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल उनके घर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। जिसके कारण रंगनाथन की बेटी डॉ रीना रामचंद्रन ने अस्पताल के कर्मचारियों से उनकी मां को घर पर टीका लगाने का अनुरोध किया, लेकिन उनका कहना है कि राज्य सरकार के नियम उन्हें घर पर किसी को भी टीका लगाने की अनुमति नहीं देते हैं।
वह कहती है कि भले ही हम किसी तरह उन्हें एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाने में कामयाब हों जाएं, लेकिन उन्हें उस दौरान संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है। जो उनके लिए जानलेवा है। उन्होंने आउटलुक को बताया कि उनकी कई अस्पतालों में बात हुई, लेकिन सभी ने कहा कि उनके हाथ बंधे हुए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का सर्कुलर भी उन्हें डोर-टू-डोर टीकाकरण करने की अनुमति नहीं देता है।
टीकाकरण अभियान से जुड़े प्राइवेट अस्पताल के एक डॉक्टर बताते हैं कि अगर केंद्र का सर्कुलर घर पर टीकाकरण की अनुमति नहीं देता है तो राज्य सरकारें भी कुछ नहीं कर सकती हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी नीति में बदलाव लाने की जरूरत है।
विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए कार्यरत अखिल भारतीय संस्था डॉक्टर्स विथ डिसेबिलिटीस: एजेंट ऑफ चेंज के संगठनात्मक प्रमुख डॉ सतेंद्र सिंह विकलांगों या संक्रमण की चपेट में आने वालों के लिए घर पर टीकाकरण के नियमों में ढील नहीं देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को दोषी ठहराते हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि उन्होंने टीकाकरण अभियान के तहत बुजुर्गों और विकलांगों को घर-घर जाकर टीका लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री और दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री को ई-मेल भेजा है।
डॉ सिंह ने इस ईमेल में लिखा कि मीडिया की नाराजगी और बाद में उन प्रकाशित मीडिया रिपोर्टों के स्वत: संज्ञान के बाद, विकलांग व्यक्तियों के लिए दिल्ली आयुक्त ने सभी ग्यारह राजस्व जिलों में विकलांग व्यक्तियों के लिए समर्पित कोविड टीकाकरण केंद्र स्थापित करने के लिए संभागीय आयुक्त को निर्देश दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 27 मई, 2021 को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को बुजुर्ग और विकलांग लोगों के लिए नियर होम कोविड टीकाकरण केंद्रों (एनएचसीवीसी) के लिए अपने दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा। दिशानिर्देशों का उद्देश्य गैर-स्वास्थ्य सुविधा-आधारित सेटिंग्स में समुदाय-आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है, जो घर के नजदीक हैं। उदाहरण के लिए, एक सामुदायिक केंद्र, आरडब्ल्यूए केंद्र/कार्यालय, पंचायत घर, स्कूल भवन, वृद्धाश्रम इत्यादि।
डॉ सिंह कहते हैं कि दिशानिर्देश अभी भी बहुत महत्वकांक्षी हैं। बहुत से लोग गंभीर रूप से विकलांग या बुजुर्ग अभी भी अपने घरों के बाहर इन सेवाओं का उपयोग करने में असमर्थ हो सकते हैं और उन्हें नहीं भूलना चाहिए।
उनका तर्क है कि दिल्ली विकलांग व्यक्तियों के अधिकार नियम, 2018 के नियम 19 (2) के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार को उच्च समर्थन आवश्यकताओं (एचएसएन) के साथ बेंचमार्क विकलांग व्यक्तियों की सहायता के लिए योजनाएं विकसित करने की आवश्यकता है।
डॉ सिंह ने यह भी लिखा कि सार्वजनिक स्थानों पर जेंडर डिस्फोरिया, सरकारी पहचान पत्रों की कमी, चिकित्सा प्रतिष्ठानों में दुर्व्यवहार, खराब इंटरनेट, गलत सूचना जैसे कलंक उनकी स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ टीके की स्वीकृति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण हैं।
डॉ सिंह ने डोर-टू-डोर वैक्सीन अभियान शुरू करने की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि मौजूदा असमानताओं को कम करने के बजाय, हम डिजिटल डिवाइड और CoWIN ऐप/वेबसाइट पर जोर देकर नई असमानताएं पैदा कर रहे हैं। असम और पश्चिम बंगाल दोनों ने ट्रांसजेंडर लोगों को टीकाकरण अभियान में प्राथमिकता दी है।