साल 2017 का आज आखिरी दिन है। इस साल केन्द्र सरकार ने कई बड़े नीतिगत फैसले लिए। इस दौरान ‘आधार’ की चर्चा पूरे देश में रही। सरकार की ओर से जनहित की दलील देकर आधार को सरकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य बनाया गया। लेकिन वहीं आधार की अनिवार्यता से लोगों को बड़ी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। आइए आधार से जुड़ी कुछ ऐसी ही घटनाओं के बारे में जानते हैं-
भात-भात कहते-कहते भूख से मर गई....
28 सितंबर को कथित तौर पर झारखंड में एक बच्ची संतोषी की भूख से मौत की खबर आई। संतोषी अपने परिवार के साथ कारीमाटी मे रहती थी। यह सिमडेगा जिले के जलडेगा प्रखंड की पतिअंबा पंचायत का एक गांव है।
संतोषी की मां कोयली देवी के मुताबिक आधार से राशन कार्ड लिंक न होने के कारण उन्हें राशन नहीं मिला और उनकी बेटी की भूख से मौत हो गई।
आधार से बैंक खाता लिंक नहीं तो नहीं मिली मजदूरी
नलंबर में विशाखापत्तनम ज़िले के मुनगपाका मंडल गांव में मनरेगा मजदूरों को मेहनताना नहीं मिल सका। वजह है इनके आधार कार्ड का काम न करना। कई बार ये लोग अपने आधार कार्ड के विवरण को बैंक खाते से जोड़ने की अर्जी भी डाल चुके हैं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं रहा।
आधार कार्ड को बैंक खाते से लिंक करना अनिवार्य होने के बाद मनरेगा का लाभ उठा रहे ग्रामीणों ने भी इस आदेश का पालन किया, लेकिन हर किसी के लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं रहा।
बीबीसी के मुताबिक आधार कार्ड से जुड़ी परेशानियां केवल मुनगपाका गांव तक ही सीमित नहीं हैं। पास के ही पी अनंदापुरम और पतिपल्ली गांव की भी यही कहानी है। इन गांवों में मनरेगा के तहत काम करने वाले सिविल सोसायटी संगठन 'समालोचना' और अंबेडकरवादी 'पुनादी' भी पैसे न मिलने की समस्या से जूझ रहे हैं।
पुनादी के अध्यक्ष राजन्ना बुज्जीबाबू कहते हैं कि पैसों का भुगतान अनियमित तरीके से हो रहा है। अधिकतर लोगों को उनके हक का पैसा नहीं मिला है।
आधार के बिना कारगिल शहीद की पत्नी को नहीं मिला इलाज, मौत
साल के आखिर में आधार के बिना इलाज नहीं होने की वजह से कथित तौर पर मौत का मामला सामने आया। हरियाणा में कारगिल शहीद की पत्नी के पास आधार कार्ड नहीं होने पर अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया। इससे उनकी मौत हो गई। मामला हरियाणा के सोनीपत का है। महिला के बेटे का आरोप है कि वह नाजुक हालत में अपनी मां को अस्पताल लेकर आया था, लेकिन अस्पताल ने उनसे आधार कार्ड लेकर आने को कहा। आधार कार्ड नहीं होने पर उन्होंने मोबाइल पर उसकी कॉपी दिखाई। इसके बावजूद अस्पताल ने उसकी मां का इलाज नहीं किया, जिससे उनकी मौत हो गई।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, करगिल युद्ध में शहीद हवलदार लक्ष्मण दास की पत्नी की तबीयत काफी बिगड़ गई थी। उसके बाद उनके बेटे अपनी मां को सोनीपत के हॉस्पिटल लेकर गए थे। यह घटना गुरुवार शाम की है। उनके बेटे पवन कुमार कहना है कि उन्होंने कहा कि एक घंटे में वह आधार कार्ड लेकर आ जाएंगे, तब तक इलाज शुरू की जाए। लेकिन अस्पताल ने ऐसा करने से मना कर दिया। हालांकि अस्पताल ने इन आरोपों से इंकार किया है।