जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में 9 फरवरी को आयोजित विवादित कार्यक्रम के संबंध में आरोपी छात्रों को कितनी सजा दी जाए, इस संबंध में मुख्य प्रॉक्टर के कार्यालय ने कानूनी राय मांगी है। मामले की जांच कर रहे विश्वविद्यालय के पैनल ने हालांकि 11 मार्च को अपनी रिपोर्ट पेश कर दी थी, लेकिन विश्वविद्यालय ने अब तक इस मुद्दे पर अंतिम फैसला नहीं लिया है। सूत्रों ने बताया, यह एक संवेदनशील मुद्दा है और विश्वविद्यालय किसी के साथ पक्षपात नहीं करता है। अनुशासन के नियमों को ध्यान में रखते हुए आरोपी छात्रों को कितनी सजा दी जाए इस पर फैसला किया जाएगा। लेकिन, सबसे पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सजा कानूनन न्यायोचित हो। अगर अधिकारी छात्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर आगे बढ़ने का फैसला करते हैं, तो नए सिरे से प्रदर्शन शुरू होने की आशंका है।
विश्वविद्यालय की एक उच्च स्तरीय समिति ने इन छात्रों को विश्वविद्यालय के मानदंडों और अनुशासन नियमों के उल्लंघन का दोषी पाते हुए 14 मार्च को इस संबंध में 21 छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी करके यह पूछा था कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। छात्रों ने इससे पहले नए सिरे से जांच शुरू करने की मांग करते हुए जांच समिति के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया था। हालांकि विश्वविद्यालय ने उनकी मांगों को ठुकरा दिया और अपनी बात दोहराते हुए कहा कि अनुशासनात्मक समिति के समक्ष पेश होने के लिए छात्रों को तीन मौके दिए जाएंगे और अगर वे ऐसा करने में नाकाम रहते हैं तो पैनल उपलब्ध साक्ष्य, गवाहों और छात्रों के बयान और अन्य उपलब्ध सामग्री के आधार पर अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दे देगा।
जांच पैनल के निष्कर्षों को मानने से इनकार करने वाले छात्रों ने प्रशासन को प्रतीकात्मक उत्तर देते हुए कहा है कि वे अपरिभाषित आरोपों पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकते। प्रशासन ने छात्रों से यह भी कहा है कि अगर वे कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं देते तो ऐसा मान लिया जाएगा कि उनके पास मामले में कहने के लिए कुछ नहीं है और कार्यालय इस संबंध में आगे की कार्रवाई करेगा। पांच सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट में छात्रों के साथ प्रशासन की ओर से भी गलतियां किए जाने की ओर इशारा किया गया है लेकिन, किसी भी प्रशासनिक अधिकारी से स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया है। जेएनयू में हुए विवादित कार्यक्रम में बाहरी लोगों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय पैनल ने देशद्रोह मामले का सामना कर रहे दोनों छात्रों - उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को सांप्रदायिक, जातिगत या क्षेत्रीय भावना भड़काने अथवा छात्रों के बीच सौहार्द्र बिगाड़ने का दोषी पाया है।
बहरहाल, कार्यक्रम के संबंध में देशद्रोह मामले का सामना कर रहे छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ कोई खास आरोप नहीं लगाया गया है, जबकि विश्वविद्यालय ने 9 फरवरी को यातायात रोकने के मामले में एबीवीपी सदस्य सौरभ शर्मा को भी दोषी पाया है। नौ फरवरी को ही विवादित कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। जांच पैनल के अपनी रिपोर्ट पेश करने के बाद विश्वविद्यालय ने 11 मार्च को कन्हैया कुमार सहित आठ छात्रों के शैक्षणिक निलंंबन को रद्द कर दिया था। माना जाता है कि जांच पैनल कार्यक्रम में कथित भूमिका के लिए कन्हैया कुमार, उमर, अनिर्बान और दो अन्य छात्रों के निष्कासन की सिफारिश करने वाला है।