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वन रैंक वन पेंशन सिद्धांतत: मंजूर, विधवाओं को एकमुश्त बकाया

मोदी सरकार ने वन रैंक वन पेंशन की मांग मान ली है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शनिवार को प्रैसवार्ता में इस बात का एलान किया है। इसे एक जुलाई, 2014 से लागू किया जाएगा और इसमें स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने वाले सैनिकों को शामिल नहीं किया गया है।
वन रैंक वन पेंशन सिद्धांतत: मंजूर, विधवाओं को एकमुश्त बकाया

प्रेस वार्ता में रक्षा मंत्री ने कहा कि एक जुलाई, 2014 से इसे लागू किया जाएगा। पेंशन की हर पांच साल में समीक्षा की जाएगी। इसमें वीआरएस लेने वाले सैनिक भी शामिल नहीं होंगे। इसका आधार वर्ष 2013 होगा। बकाया वर्ष 2013 से चार किश्तों में दिया जाएगा। सैनिकों की विधवाओं को एकमुश्त बकाये का भुगतान किया जाएगा।

 

एलान से पहले रक्षा मंत्री अमित शाह से मिले

रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलने उनके घर पहुंचे। इस दौरान बीजेपी के प्रवक्ता भी शामिल हुए। शनिवार को ही रक्षा मंत्री पूर्व सैनिकों के एक प्रतिनिधि मंडल से मिले। उनसे कहा कि सरकार ने ओआरओपी के सिद्धांत को मंजूरी दे दी है। मेजर जनरल (रियायर्ड) सतबीर सिंह ने जंतर मंतर पर वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर धरना दे रहे पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, 'सरकार ने सिद्धांत के रूप में हमारी मांग मान ली है। 

 

क्या है वन रैंक-वन पेंशन

मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को आश्वासन दिया था कि उनकी सरकार 'वन-रैंक-वन पेंशन' (ओआरओपी) के मुद्दे पर जल्द हल निकालेगी। वन रैंक-वन पेंशन के मायने हैं कि अलग-अलग समय पर रिटायर हुए एक ही रैंक के दो फौजियों की पेंशन की राशि में ‍बड़ा अंतर न रहे। वर्ष 2006 से पहले रिटायर हुए सैन्य कर्मियों को कम पेंशन मिल रही थी। यहां तक अपने से कम रैंक वाले अधिकारी से भी कम है।  यह अंतर इतना ज्यादा हो गया था कि पहले से रिटायर अधिकारियों की पेंशन बाद में रिटायर हुए छोटे अफसरों से कम हो गई। 

 

 

 

 

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