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चर्चाः नेहरू के बिना अंबेडकर-पटेल कैसे | आलोक मेहता

महाराणा प्रताप को नमन करते समय अकबर के मुकाबले बहादुरी का ज्ञान किसी को दिया जा सकता है? इसी तरह पं. जवाहरलाल नेहरू के पहले प्रधानमंत्री बनने की जानकारी दिए बना संविधान निर्माता समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल का स्मरण किया जा सकेगा?
चर्चाः नेहरू के बिना अंबेडकर-पटेल कैसे | आलोक मेहता

दुःखद और शर्मनाक बात यह है कि राजस्‍थान की भाजपा सरकार के राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल ने माध्यमिक स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों से देश के ‘पहले प्रधानमंत्री पं. नेहरू’  का नाम उल्लेख तक हटा दिया गया है। कक्षा 6 से 8 की शिक्षा पाने वाले मासूम बच्चों को क्या स्वतंत्रता आंदोलन में कई बार जेल जाने वाले जवाहरलाल नेहरू की जानकारी नहीं दी जानी चाहिए? पाठ्य पुस्तक मंडल के संकीर्ण और मंद बुद्धिवाले अधिकारियों और पुस्तक रचयिताओं को क्या इस तथ्य की जानकारी है कि डॉ. अंबेडकर ने दलितों के उत्‍थान के लिए सामाजिक जागृति का अभियान अवश्य चलाया, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी-नेहरू –पटेल की तरह कभी जेल नहीं गए? ऐसा भी नहीं है कि भाजपा राज से पहले बनी पाठ्य पुस्तकों में केवल नेहरू का उल्लेख था, वरन पूरी ईमानदारी के साथ वीर सावरकर, महात्मा गांधी, शहीद भगत सिंह, बालगंगाधर तिलक और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भी पूरी जानकारी थी। विवादास्पद नई पाठ्य पुस्तक में अहसयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ाे आंदोलन इत्यादि का नेतृत्व महात्मा गांधी द्वारा किए जाने का जिक्र है, लेकिन उनका साथ देने वाले परम शिष्य जवाहरलाल का नाम गायब कर दिया है। मूर्खता की पराकाष्‍ठा यह है कि राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी की नृशंस हत्या करने वाले क्रूर हत्यारे नाथूराम गोडसे पर ‘प्रेम’ दिखाते हुए इतिहास से नाम हटा दिया है। इस तरह के अर्द्ध ज्ञानी ऐसे सिरफिरे लोगों के समर्थक हो सकते हैं, जो गांधी के बजाय गोडसे के अंधपुजारी हैं। नई पाठ्य पुस्तकें उदयपुर के राजस्‍थान राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्‍थान ने अपने कट्टरपंथी समर्थकों से तैयार करवाई हैं। राजस्‍थान सरकार के शिक्षा मंत्री यह बयान देकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते कि उनके विभाग ने पुस्तक तैयार नहीं की। श्रीमान- आपकी सरकार और शिक्षा विभाग के बजट, आदेश और तनख्वाह से चलने वाले निगमों का यह काम है। पुस्तकों की लाखों प्रतियां अभी स्कूलों में भले ही नहीं पहुंची हों, मंडल की वेबसाइट पर पुस्तक अपलोड कर जारी कर दी गई है। मतलब, भारत में ही नहीं दुनिया भर में भारतीय स्कूली शिक्षा से जानकारी लेने वालों को नेहरू के नाम से वंचित किया जा रहा है। भाजपा सरकार के कूपमंडूक लोगों को यह क्यों नहीं समझ में आता कि पं. जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व का उल्लेख किए बिना वे जनसंघ के संस्‍थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी के स्वतंत्र भारत में नेहरू सरकार में मंत्री बनने की जानकारी कैसे दे पाएंगे? क्या वे ब्रिटिश सरकार के मंत्री बने थे? केवल विरोध और तत्काल संशोधित पुस्तक जारी किए जाने के अलावा इतिहास की भ्रमित पुस्तक तैयार करने वाले अपराधियों को दंडित भी किया जाए।

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