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चर्चाः रामराज्य में रावण की जगह | आलोक मेहता

न्यायालय से दोषी साबित न होने तक क्या छात्रों की एक भीड़ को आतंकवादी-राष्ट्रद्रोही घोषित किया जा सकता है? ये युवा अभी क्या पूरी तरह परिपक्व हैं?
चर्चाः रामराज्य में रावण की जगह | आलोक मेहता

रावण-दहन के साथ बुराइयों को नष्ट कर अच्छाई की विजय मानी जाती है। लेकिन दक्षिण भारत ही नहीं उत्तर-भारत के कुछ लोग-संगठन रावण की पूजा करते हैं। यहां तक कि विवाहोत्सव में रावण प्रतिमा की पूजा करने वाले लोग भी हैं। मध्य प्रदेश के विदिशा, रतलाम, मंदसौर के कुछ गांवों में एक वर्ग विशेष रावण को ‘ब्राह्मण देवता’ और महाज्ञानी के रूप में पूजते हैं। उनका तर्क हैं कि लंका में युद्ध के अंतिम दौर में भी श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा था कि ‘रावण बहुत ज्ञानी है और उनके अंतिम सांस लेने से पहले कुछ ज्ञान मिल सकता है, तो ले आओ।’ लेकिन इस ‘उदार’ परंपरा के बावजूद रावण और दानव को ‘आदर्श’ नहीं माना जा सकता। उनके अत्याचारों को क्षमा नहीं किया जा सकता। वर्तमान युग में आतंकवादियों को खूंखार दानव ही माना जाएगा और उनका समर्थन नहीं किया जा सकता। लेकिन लोकतंत्र में जिस तरह रावण की पूजा करने वाले ‘पापी’ के रूप में दंडित नहीं हो सकते, उसी तरह किसी पूर्वाग्रह या अंधविश्वास के कारण आतंकवाद के आरोपी को मृत्यु दंड मिलने के बाद उसके प्रति सहानुभूति जताने पर आपत्ति हो सकती है, लेकिन क्या जघन्य अपराध और राष्ट्रद्रोह माना जा सकता है? संविधान निर्माताओं ने राष्ट्रद्रोह की परिभाषा करते हुए कुछ कड़े कानूनों का प्रावधान किया, लेकिन क्या उन्होंने कभी सोचा होगा कि पाटीदार समुदाय के लोगों को आरक्षण देने का आंदोलन करने वालो युवा हार्दिक पटेल पर ‘राष्ट्रद्रोह’ के आरोप में मुकदमा चलने लगेगा? लगभग यही बात जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नेता कन्हैया और उसके कुछ साथियों पर ‘राजद्रोह’ का मामला दर्ज करने से उठ रही है। अफजल गुरु के प्रति समर्थन या पाकिस्तान समर्थक नारे लगना अनुचित, अशोभनीय एवं अपराध ही माना जाएगा। लेकिन कितना बड़ा अपराध? गृहमंत्री राजनाथ सिंह का यह वक्तव्य बेहद गंभीर है कि जेएनयू में हुई सभा और नारेबाजी आतंकवादी संगठन अलकायदा के हाफिज सईद की साजिश का हिस्सा है। तो क्या कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी तत्वों की पहुंच इस विश्वविद्यालय तक होने की भनक भारत सरकार को पहले नहीं मिली? यदि ठोस सबूत मिलते हैं, तो दोषी को न्यायालय से कठोर दंड मिलना ही चाहिए। लेकिन न्यायालय से दोषी साबित न होने तक क्या छात्रों की एक भीड़ को आतंकवादी-राष्ट्रद्रोही घोषित किया जा सकता है? ये युवा अभी क्या पूरी तरह परिपक्व हैं? पंजाब में भिंडरावाले समर्थक कुछ लोग अब भी उसका महिमा मंडन करते हैं। महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे के समर्थन में खड़े रहने वाले लोगों की आवाज यदा-कदा सुनाई देती है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता (फिलहाल निलंबित) राम जेठमलानी ने तो इंदिरा गांधी के हत्यारे को निर्दोष साबित करने के लिए पूरी कानूनी लड़ाई लड़ी। बहरहाल, रामराज्य के ‘रावण’ की असली पहचान और ‘राष्ट्रद्रोह’ के कानून की सीमाओं की समीक्षा का सही अवसर है।

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