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कोयला घोटाला: जेआईपीएल, दो निदेशकों के खिलाफ आरोप तय

एक विशेष अदालत ने सोमवार को कथित रूप से झूठे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर झारखंड में उत्तरी धादू कोयला ब्लाॅक का आवंटन सुनिश्चित करने के मामले में झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड (जेआईपीएल) और उसके दो निदेशकों आर. सी. रूंगटा और आरएस रूंगटा के खिलाफ आरोप तय किए।
कोयला घोटाला: जेआईपीएल, दो निदेशकों के खिलाफ आरोप तय

 अब इस मामले में सुनवाई शुरू होगी। अदालत ने तीन आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 467 (कीमती प्रतिभूति का फर्जीवाड़ा), 468 (धोखाधड़ी के उददेश्य से फर्जीवाड़ा) और 471 (फर्जी दस्तावेज को असली के रूप में प्रयोग करना) के तहत आरोप तय किए।

अदालत ने नौ मार्च को आदेश दिया था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा क्योंकि तीन आरोपियों के खिलाफ पहली नजर में धोखाधड़ी, साजिश और फजर्ीवाड़ा के आरोप बनते हैं। विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने कहा कि नौ मार्च 2015 के आदेश के संदर्भ में, सभी आरोपियों मेसर्स जेआईपीएल, आरसी रूंगटा और आर. एस. रूंगटा के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 120बी, 420, 467, 468 और 471 के तहत अपराध के लिए आरोप तय किए हैं। आरोपी आरसी रूंगटा के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 420, 467, 468, 471 के तहत जबकि आरोपी आरएस रूंगटा के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 420, 468, 471 के तहत अपराध के लिए आरोप तय किए गए हैं। अदालत द्वारा उनके खिलाफ आरोप तय करने के बाद, आरोपियों ने दोषी नहीं होने का दावा किया जिससे इस मुकदमे की सुनवाई का रास्ता साफ हुआ।

सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ लोक अधिवक्ता एपी सिंह ने सीआरपीसी की धारा 294 के तहत एक अर्जी दायर कर कहा कि अभियोजन के सभी गवाहों से पूछताछ की जरूरत कम करने के लिए मामले से संंबंधित विभिन्न दस्तावेजों को स्वीकार करने या अस्वीकार करने के लिए आरोपियांे को बुलाया जा सकता है।

अभियोजक ने कहा कि यह मामला मुख्य रूप से दस्तावेजों पर आधारित है और आरोपियों द्वारा हस्ताक्षरित कुछ दस्तावेजों को साबित करने के आधार पर अगर सुनवाई को गैरजरूरी रूप से लंबा नहीं खींचा जाता है तो यह न्याय के हित में होगा।

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