सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़े मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी है।
याचिका को खारिज करते हुए, साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने कहा कि मेरे विचार से भड़काऊ भाषणों का समाज की शांति और सद्भाव पर एक दुर्बल प्रभाव पड़ता है।
स्वामी विवेकानंद के एक उदाहरण का हवाला देते हुए न्यायाधीश अग्रवाल ने कहा, "हम वही हैं जो हमें हमारे विचारों ने बनाया है, इसलिए आप जो सोचते हैं, उस पर ध्यान दें, शब्द गौण हैं, विचार जीवित हैं, जो दूर तक जाते हैं"।
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इससे पहले उनके वकील तनवीर अहमद मीर ने दलील दी थी कि सरकार की आलोचना करना देशद्रोह का कारण नहीं हो सकता।
गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के आरोप में गिरफ्तार शरजील इमाम ने उत्तर-पूर्वी हुई दिल्ली हिंसा से संबंधित एक मामले में एक स्थानीय अदालत से जुलाई महीने में जमानत मांगी थी।
बता दें कि 24 फरवरी को उत्तर पूर्व दिल्ली में नागरिकता कानून समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, इस दौरान कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और लगभग 200 लोग घायल हो गए।