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वन, वनवासी और जीव एक दूसरे के पूरक हैं, प्रतिद्वंदी नहीं : अनिल माधव दवे

पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे ने कहा है कि जंगल का जीवंत अस्तित्व है और जंगल अपनी अभिव्यक्ति करता है बशर्ते हममें सुनने की क्षमता हो। तीन महत्वपूर्ण घटक- वन, जनजातीय वनवासी और वन्य जीव एक-दूसरे के पूरक हैं और प्रतिद्वन्द्वीं नहीं है। उन्होंने कहा कि वनों में बड़ी संख्या में पेडों को वनवासियों द्वारा नहीं गिराया जा रहा।
वन, वनवासी और जीव एक दूसरे के पूरक हैं, प्रतिद्वंदी  नहीं : अनिल माधव दवे

अपर मुख्य सचिवों (वन)/वनों के प्रधान मुख्य संरक्षक और मुख्य वन्य जीव वार्डेनों के दो दिन के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए श्री अनिव माधव दवे ने कहा वन, वनवासी तथा वन्यजीव के प्रति स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले से औपनिवेशिक सोच रही है। पर्यावरण मंत्री ने वनों पर दबाव कम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कृषि वानिकी, बांस और घास इस दबाव को कम करने के संभावित विकल्प हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि विकास का सही रास्ता ही पर्यावरण का सही मार्ग है। दवे ने कहा कि जीवन का सही तरीका और न्यूनतम कार्बन के साथ जीवन व्यतीत करना ही जलवायु परिवर्तन की चुनौती का जवाब है।

दवे ने कहा कि पेरिस समझौता, आत्मविकास लक्ष्य 2030 और एचएफसी पर हाल में हुए समझौते के अंतर्गत वचनबद्धता पूरी करने के लिए भारत स्वैच्छिक आधार पर अनेक कदम उठाने पर सहमत हुआ है। पर्यावरण मंत्री ने पर्यावरण क्षेत्र में विश्व और राष्ट्रीय स्तर पर हाल के विकासों का जिक्र किया। उन्होंने वानिकी संबंधी एनडीसी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कारगर रणनीति विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री दवे ने राष्ट्रीय स्तर पर सीएएमपीए विधेयक पारित किए जाने का जिक्र किया। इस विधेयक से क्षतिपूरक वानिकी कोष के अंतर्गत उपलब्ध धन का कारगर उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि हमेशा पर्यावरण और विकास साथ-साथ रहे हैं। 

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