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कश्मीर में कांटे और फूल

कश्मीर का दर्द संपूर्ण भारत समझ सकता है। जम्मू-कश्मीर को भारत के अभिन्न नाजुक अंग की तरह हर भारतीय प्यार करता है। कश्मीर की वादियां केसर और सुंदर फूलों की खुशबू के साथ गौरवशाली संस्कृति के रूप में मानी जाती है। इसलिए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सोमवार को हुए विचार-विमर्श के बाद यह शुभ संकेत है कि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल की तरह वर्तमान सरकार भी कश्मीरी हितों को प्राथमिकता देकर सभी संगठनों से संवाद बढ़ाएगी।
कश्मीर में कांटे और फूल

 

इसमें कोई शक नहीं कि राजनीतिक खींचतान एवं भ्रष्टाचार के कारण पिछले वर्षों के दौरान जम्मू-कश्मीर के लिए केंद्र से दी जाने वाली विपुल सहायता सही ढंग से लोगों तक नहीं पहुंची। बेराेजगारी ने युवकों को निराश किया और पाकिस्तान ने इस निराशा एवं आक्रोश में आग डालने की निरंतर कोशिश की। घुसपैठ से आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने भी कड़ी कार्रवाई की। जुलाई में भड़की हिंसा अब तक पूरी तरह शांत नहीं हो सकी। राज्य और केंद्र सरकार के बीच कुछ मुद्दों पर असहमतियों से स्थिति गंभीर हुई। लेकिन गृह मंत्री राजनाथ सिंह की कश्मीर यात्रा से बर्फ पिघली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज स्पष्ट शब्दों में कश्मीर को आजादी के समान सुख मिलने की बात जोरदार ढंग से उठाई है।

पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए सेना के साथ कश्मीर की अवाम का विश्वास जरूरी है। यों जरूरत तो पाकिस्तान से भी संवाद जारी रखने की है। भाजपा सरकार ने सारे पूर्वाग्रहों एवं आपत्तियों के बावजूद संवाद की खिड़की खोल रखी है। आतंकवादियों के साथ कड़ाई से निपटते हुए कश्मीर में सक्रिय विभिन्न संगठनों और युवाओं को यह विश्वास दिलाना होगा कि उनकी समस्याओं के निदान के लिए हर संभव सहायता दी जाएगी। जो संगठन भारतीय हितों की रक्षा के लिए सहयोग देंगे, उनकी बातें भी राज्य और केंद्र की सरकारों को माननी होगी। शांति-व्यवस्‍था रहने पर कश्मीर के विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ाए जा सकते हैं। असल में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीरी क्षेत्र की बदहाली की अधिकाधिक जानकारी भारतीयों को बताई-दिखाई जानी चाहिए। हमारे कश्मीर की स्थिति सारी समस्याओं के बावजूद उनसे कई गुना बेहतर है। अगस्त से अक्टूबर के बीच कश्मीर की वादियों में शांति की बयार आनी चाहिए।

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