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प्रेस क्लब नारेबाजी: गिलानी को दो दिन की पुलिस हिरासत में भेजा

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व लेक्चरर एसएआर गिलानी को मंगलवार की सुबह देशद्रोह और अन्य आरोपों के तहत दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद गिलानी को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया जहां से मजिस्ट्रेट ने उन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। गिलानी की गिरफ्तारी पिछले दिनों प्रेस क्लब में आयोजित उस समारोह के संबंध में की गई है जिसमें भारत विरोधी नारे लगाए गए थे।
प्रेस क्लब नारेबाजी: गिलानी को दो दिन की पुलिस हिरासत में भेजा

नई दिल्ली के पुलिस उपायुक्त जतिन नरवाल ने गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए कहा,  गिलानी को देर रात करीब तीन बजे भारतीय दंड संहिता की धाराओं 124 ए (देशद्रोह), 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और 149 (गैरकानूनी रूप से एकत्र होना) के तहत संसद मार्ग पुलिस थाने में गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि गिलानी को कल रात पुलिस थाने बुलाया गया था जहां उन्हें हिरासत में लिया गया और उनसे कई घंटों तक पूछताछ की गई। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद चिकित्सीय जांच के लिए आरएमएल अस्पताल ले जाया गया। मंगलवार दिन में गिलानी को स्थानीय अदालत में पेश किया गया जहां से कोर्ट ने उन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। 

 

प्रेस क्लब में 10 फरवरी को आयोजित एक समारोह में एक समूह ने कथित रूप से अफजल गुरू के समर्थन में नारे लगाए थे। इस दौरान गिलानी और तीन अन्य वक्ता भी मंच पर मौजूद थे। पुलिस ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए गिलानी और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ 12 फरवरी को मामला दर्ज किया था। पुलिस ने दावा किया कि गिलानी के खिलाफ इसलिए मामला दर्ज किया गया क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि वह समारोह के मुख्य आयोजक थे।

 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, गिलानी के ईमेल के जरिए प्रेस क्लब का सभागार बुक कराने का अनुरोध भेजा गया था और इस समारोह की प्रकृति एक सार्वजनिक सभा वाली होनी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस ने प्रेस क्लब के सदस्य और डीयू के प्रोसेफर अली जावेद से लगातार दो दिन पूछताछ की। जावेद की सदस्यता संख्या के तहत ही समारोह के लिए सभागार बुक किया गया था।

 

दिल्ली पुलिस ने संसद हमला मामले के संबंध में गिलानी को वर्ष 2001 में गिरफ्तार किया था लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने अक्तूबर 2003 में उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। इस निर्णय को उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2005 में बरकरार रखा था जिसने उस समय यह भी कहा था कि संदेह की सुई उनकी ओर इशारा करती है। गिलानी को ऐसे समय पर गिरफ्तार किया गया है जब जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए जाने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। कुमार को संसद पर हमला करने के दोषी अफजल गुरू को फांसी की सजा दिए जाने के विरोध में 9 फरवरी को आयोजित समारोह के संबंध में गिरफ्तार किया गया है।

 

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