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मोदी सरकार के लिए एक और परेशानी, PSU कर्मचारी रोजगार विरोधी नीतियों के विरोध में करेंगे हड़ताल

देश में सरकार एक तरफ  आर्थिक मोर्च पर चुनौतियों का सामना कर रही है, तो दूसरी तरफ इसे पटरी पर लाने के...
मोदी सरकार के लिए एक और परेशानी, PSU कर्मचारी रोजगार विरोधी नीतियों के विरोध में करेंगे हड़ताल

देश में सरकार एक तरफ  आर्थिक मोर्च पर चुनौतियों का सामना कर रही है, तो दूसरी तरफ इसे पटरी पर लाने के नीतिगत फैसले पर भी सवाल उठने लगे हैं। सरकार अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने की बात करती है, लेकिन अर्थव्यवस्था की विकास दर लगातार गिरती जा रही है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की विकास दर घटकर 4.5 फीसदी रह गई, जो पहली तिमाही में 5 फीसदी थी।

इधर, अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ और भारतीय ट्रेड यूनियन सहित लगभग सभी मजदूर संघों ने सरकार की तरफ से लाए गए नए इंस्ट्रियल रिलेशंस कोड बिल के खिलाफ 8 जनवरी को हड़ताल करने का फैसला किया है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के सी.एच. वेंकटचलम ने बताया कि यह बिल मजदूर और ट्रेड यूनियन-विरोधी है। इसलिए इसके खिलाफ प्रदर्शन का फैसला किया गया है।

इसके पहले 28 नवंबर को भी सीटू सहित कई मजदूर संघों ने सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया था। तब सीटू के महासचिव तपन सेन ने कहा था कि यह श्रमिकों को बंधुआ मजदूर बनाने वाला बिल है। 28 नवंबर की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में बीपीसीएल, एचपीसीएल और ओएनजीसी (एमआरपीएल) रिफाइनरी के कर्मचारियों ने भाग लिया। सेन का कहना है कि यह प्रदर्शन मोदी सरकार द्वारा बीपीसीएल सहित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ था। इस हड़ताल में केरल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के सैकड़ों नियमित और कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मचारी शामिल हुए।

सीटू के महासिचव तपन सेन का कहना है कि 8 जनवरी 2020 को होने वाली देशव्यापी हड़ताल में ऑइल ऐंड पेट्रोलियम वर्कर्स भी शामिल होंगे।

आर्थिक सुधार के नाम पर निजीकरण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 20 नवंबर को कहा था कि सरकार आर्थिक सुधार के मोर्चे पर बड़ा कदम उठाने जा रही है और इसके तहत भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) भारतीय जहाजरानी निगम और कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया समेत पांच सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने जा रही है। सरकार बीपीसीएल में 53.29 फीसदी की अपनी हिस्सेदारी बेचेगी। वहीं, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी 63.75 फीसदी है, जिसे पूरी तरह बेच दिया जाएगा। जबकि कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी 30.90 फीसदी है। इसे भी पूरी तरह बेच दिया जाएगा।

रोजगार संकट

एक तरफ बेरोजगारी दर 45 साल के उच्चतम स्तर पर है। वहीं, सरकार दूसरी तरफ बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी सरकारी कंपनियों को रिवाइव करने के लिए बड़े पैकेज का ऐलान कर चुकी है। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में कहा था कि सरकार बीएसएनएल कर्मचारियों के लिए वीआरएस पैकेज भी लाई है और अब तक बीएसएनएल के 79 हजार कर्मचारी और एमटीएनएल के 20 हजार में से 14 हजार कर्मचारी वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं। जबरन वीआरएस से दूसरे कर्मचारियों पर भी नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है। वहीं बैंकों के मर्जर से भी नौकरियों के अवसर में कमी आने का अनुमान है।

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