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जब वीपी सिंह की सरकार ने हटाई थी राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा

मोदी सरकार ने गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया है। इसके बदले उन्हें जेड प्लस...
जब वीपी सिंह की सरकार ने हटाई थी राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा

मोदी सरकार ने गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया है। इसके बदले उन्हें जेड प्लस सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। हालांकि सरकार के इस कदम पर विवाद भी छिड़ गया है। कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार ने दो पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार के सदस्यों की जान से समझौता करते हुए बदले की राजनीति के तहत यह कदम उठाया है।

बता दें कि 1989 में वीपी सिंह की सरकार ने राजीव गांधी से एसपीजी सुरक्षा ले ली, जिसके कुछ समय बाद लिट्टे से जुड़े आतंकी ने श्रीपेरंबदुर में उनकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद तत्कालीन सरकार की बेहद किरकिरी भी हुई थी और आगे एसपीजी कानून में संशोधन भी हुए।

वहीं मोदी सरकार के मौजूदा फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को एसपीजी सिक्यॉरिटी मिली हुई थी। अब केवल पीएम मोदी ही एसपीजी सुरक्षा के अंतर्गत होंगे।

जब वीपी सिंह की सरकार ने हटाई थी राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा

हालांकि राजीव गांधी की हत्या के दौरान उनकी सुरक्षा को लेकर भी विवाद की स्थिति है। विवाद इस पर है कि जिस समय राजीव गांधी की हत्या हुई, उस वक्त उनकी सुरक्षा की व्यवस्था क्या थी?

1989 में जो चुनाव हुए, उसमें कांग्रेस की करारी हार हुई। राजीव गांधी की सरकार सत्ता से बाहर हो गई। 2 दिसंबर 1989 को राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद छोड़ा, वीपी सिंह देश के नए पीएम बने। वीपी सिंह की सरकार ने अगले तीन महीने तक राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा बहाल रखी। जबकि उस समय स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी का कानून इसके खिलाफ था। इसके बाद ये सुरक्षा उनके पास से हटा ली गई। जिसके कारण उनकी सुरक्षा की परतें कमजोर पड़ गईं थीं। हालांकि यह तथ्य भी सामने आए कि जिस समय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को एसपीजी सुरक्षा दी गई, तो वो इसे बार बार सार्वजनिक स्थानों पर तोड़ देते थे।

जब हुई राजीव गांधी की हत्या

एसपीजी का गठन 1985 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद किया गया था। 1988 में इससे संबंधित कानून संसद ने पास किया। उक्त कानून में पूर्व प्रधानमंत्रियों को इस सुरक्षा का पात्र नहीं माना गया था। वीपी सिंह सरकार ने 1989 में इसी आधार पर राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली थी। जिसके बाद 21 मई 1991 को राजीव गांधी की श्रीपेंरबदूर में हत्या हो गई थी।

इस घटना के बाद ही एसपीजी कानून में संशोधन किया गया। संशोधित कानून में प्रावधान था कि पूर्व पीएम और उनके परिवार के सदस्यों को प्रधानमंत्री पद से हटने के 10 साल बाद तक एसपीजी कवर मिलेगा। वाजपेयी सरकार ने एसपीजी सुरक्षा का समीक्षा किया था। तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों नरसिम्हा राव, एचडी देवेगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल की एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई थी। 2003 में इस कानून में दोबारा संशोधन किया गया, ये अब तक लागू है। इसके अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री को पद छोड़ने के एक साल बाद तक ही एसपीजी सुरक्षा कवर मिलेगा।

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