आम आदमी पार्टी के अधिकांश नेता जन-समस्याओं के समाधान के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्रों में नहीं दिखाई देते हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके साथी सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय हैं। केजरीवाल सबसे हास्यास्पद आरोप निरंतर लगाते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी सरकार को काम नहीं करने दे रहे हैं। जैसे प्रधानमंत्री दिन-रात केवल दिल्ली में अव्यवस्था फैलाना चाहते हों। उनके अपने विधायक क्या भाजपा के उकसाने पर अपराध कर रहे हैं? सबसे गंभीर आरोप विधायक नरेश यादव के संबंध में सामने आया है।
पंजाब में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के लिए धार्मिक ग्रंथ के पन्ने के अपमान की जांच-पड़ताल में गिरफ्तार एक आरोपी विजय कुमार ने पुलिस से कबूला है कि नरेश यादव ने यह गंभीर अपराध करने के लिए एक करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी। स्वाभाविक है कि नरेश यादव को गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई होगी। प्रमाण के आधार पर अदालत ही फैसला करेगी। इसी तरह दो-तीन विधायकों की पत्नियों ने मारपीट, ज्यादती के आरोप पुलिस में दर्ज कराए। केजरीवाल के दाएं हाथ पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती भारतीय जेल की हवा खाने के साथ अदालती कार्रवाई झेल रहे हैं। ऐसे मामलों को किस तरह राजनीति प्रेरित कहा जा सकेगा।
असलियत यह है कि केजरीवाल की पार्टी राजनीति में नई है और सारे दावों के बावजूद उसने ठीक से पृष्ठभूमि की पड़ताल किए बिना जाने-अनजाने लोगों को नेता बना दिया। पंजाब से पार्टी के सांसद बने भगवंत मान ने सारी संसदीय मर्यादा तोड़ दी। संसद में वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ कुछ साथी सांसदों ने दिन में शराब पीकर लोकसभा में आने तक के गंभीर आरोप लगाए। लोकसभा अध्यक्ष ने मान को 3 अगस्त तक सदन में प्रवेश पर रोक लगाते हुए अवैध वीडियोग्राफी के मामले में संसदीय जांच समिति गठित कर दी है। ऐसी हालत में केजरीवाल पार्टी को आत्ममंथन करना होगा।