बुधवार की देर रात राष्ट्रपति के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेनन की दया याचिका खारिज करने के बाद उसके वकील फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के नेतृत्व में कई जाने माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता मुख्य न्यायधीश के घर पहुंचे और याकूब की फांसी को 14 दिनों के लिए रोकने की मांग की। मुख्य न्यायाधीश ने इन वकीलों की दलील सुनने के बाद फिर से आधी रात में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करने का निर्णय लिया। मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया है।
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों वाली जो पीठ याकूब की फांसी पर रोक लगाने के लिए वकीलों की अपील पर सुनवाई करेगी उसमें उन्हीं तीन जजों को रखा गया है जिन्होंने बुधवार को याकूब की क्युरेटिव याचिका पर सुनवाई की थी। इस बेंच में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश प्रफुल्ल चंद्र पंत और न्यायाधीश अमिताव रॉय हैं।
उधर याकूब की फांसी रुकवाने के लिए प्रयास कर रहे वरिष्ठ वकीलों का कहना है कि राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका खारिज होने और फांसी होने के बीच 14 दिन का अंतर होना चाहिए। इसलिए याकूब को गुरूवार को होने वाली फांसी को रोका जाए।
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की एक तीन सदस्यीय बेंच ने भी टाडा कोर्ट की तरफ से जारी डेथ वारंट की वैधता पर सवाल उठाने वाली याकूब की याचिका को खारिज कर दिया था।
टाडा अदालत से जारी डेथ वारंट के मुताबिक याकूब को गुरूवार को फांसी होनी है।