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तीन तलाक बिल महिलाओं के धैर्य का ही पुरस्कार: मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड

  गुरुवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पेश किया। इसके साथ...
तीन तलाक बिल महिलाओं के धैर्य का ही पुरस्कार: मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड

 

गुरुवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पेश किया। इसके साथ ही उन्‍होंने आज के दिन को ऐतिहासिक करार दिया, लेकिन इस विधेयक के प्रावधानों पर राजद, बीजद और ओवैसी ने विरोध दर्ज कर सवाल उठाए। वहीं, कांग्रेस की ओर से बिल को समर्थन दिया जाएगा। उन्‍हें कोई संशोधन नहीं चाहिए केवल वे अपना सुझाव देंगे।

 

तीन तलाक बिल पेश होने के बाद सदन में स्‍पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा, 'विधि मंत्री ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को पारित कराने का अनुरोध किया है, जिसे दो बजे बाद की कार्यसूची में शामिल कर लिया गया है।'

 

ऑल इंडिया मुस्‍लिम वूमंस पर्सनल लॉ बोर्ड की शाइस्‍ता अंबर ने कहा, 'यह ऐतिहासिक दिन है, कई सालों से महिलाएं इसे झेलती आ रही हैं और यह उनके धैर्य का ही पुरस्‍कार है। सभी सांसदों से मेरा आग्रह है कि इस विधेयक को पारित करें।'


संसद में तीन तलाक बिल पेश होने से पहले बीजेपी संसदीय दल की बैठक हुई। इस दौरान संसद में तीन तलाक का मुद्दा उठा। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ बीजेपी के कई बड़े मंत्री और नेता मौजूद रहे। बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि पार्टी इस बिल का सपोर्ट नहीं करेगी।

तीन तलाक मुद्दे पर सरकार तथा पार्टी की लाइन तय करने के लिए भाजपा ने अपने संसदीय दल की बैठक आयोजित की। इस बैठक में विपक्ष के आरोपों का जवाब देने की रणनीति पर चर्चा की गई। संसदीय दल की बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राजनीतिक दलों से ट्रिपल तलाक बिल को सर्वसम्मति से पास करने की अपील की है।

 

वहीं, इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, मुझे नहीं लगता है कि हमें इस बिल का समर्थन करना चाहिए क्योंकि उन्होंने (सरकार ने) हमें समझाया नहीं है कि कैसे ट्रिपल तलाक का अपराध महिलाओं को फायदा पहुंचाएगा. अगर ट्रिपल तलाक पर किसी को जेल में बंद कर दिया जाता है, तो उसके परिवार का ख्याल कौन रखेगा।

 


इस बिल की खास बातें

-      एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और अवैध होगा

-      ऐसा करने वाले पति को होगी तीन साल के कारावास की सजा

-      तीन तलाक देना गैरजमानती और संज्ञेय अपराध होगा

-      पीड़िता को मिलेगा गुजारा भत्ता का अधिकार

-      मजिस्ट्रेट करेंगे इस मुद्दे पर अंतिम फैसला

-      जम्मू-कश्मीर को छोड़ कर पूरे देश में लागू होना है

सजा की श्रेणी में रखा गया है तीन तलाक

इस बिल में तत्काल तीन तलाक को सजा की श्रेणी में रखा गया है और उसे संवैधानिक, नैतिकता और लैंगिक समानता के खिलाफ बताया गया है। विधेयक में ऐसा करने वालो के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है। सजा को बढ़ाकर तीन साल तक किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को ट्रिपल तलाक को पर रोक लगाई थी। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार का मानना था कि यह परंपरा बंद हो जाएगी, लेकिन ये अब तक जारी रही। इस साल फैसले से पहले इस तरह के तलाक के 177 मामले, जबकि इस फैसले के बाद 66 मामले दर्ज हुए।

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