महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 के विस्फोट मामले में एक प्रमुख गवाह को महाराष्ट्र एटीएस के समक्ष दिए गए अपने बयानों को वापस लेने के बाद शनिवार को यहां विशेष एनआईए अदालत ने शत्रुतापूर्ण घोषित करार दिया है।
महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ता जब इस मामले की जांच कर रहा था तब गवाह ने बताया था कि 2008 में वह एक "साहसिक शिविर" में शामिल हुआ था, जहां भारत में आतंकवाद के प्रसार, ड्रग्स और नकली मुद्रा के जरिए देश को कमजोर करने में पाकिस्तान की भूमिका पर चर्चा हुई थी।
उस समय अपने बयान में गवाह ने कहा था कि मामले के सात आरोपियों में से एक लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने इस कार्यक्रम में व्याख्यान दिया था। गवाह ने यह भी कहा कि हालांकि इसे "साहसिक शिविर" कहा जाता था, लेकिन वहां उसके बारे में कुछ भी नहीं पढ़ाया जाता था।
हालांकि, शनिवार को अदालत के समक्ष अपनी गवाही दर्ज करते हुए गवाह ने ऐसा कोई बयान देने से इनकार किया, जिसके बाद विशेष न्यायाधीश पी आर शित्रे ने उसे पक्षद्रोही घोषित किया। विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसाल ने कहा कि अब तक 188 गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है और यह मुकरने वाला दूसरा गवाह है।
पुरोहित के अलावा इस मामले के अन्य आरोपी भोपाल से भाजपा लोकसभा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी हैं, जो सभी जमानत पर बाहर हैं।
वे गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
29 सितंबर, 2008 को मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में रखे विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे।