एक बार फिर जाट आरक्षण आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। रविवार को अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति हरियाणा द्वारा जसिया-रोहतक में आयोजित भाईचारा सम्मेलन में बोलते हुऐ राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री यशपाल मलिक ने कहा कि 16 अगस्त 2018 से अपनी मांगों के समर्थन में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की शुरूआत करेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक हरियाणा सरकार उनकी मांगो को समय सीमा के अन्तर्गत पूरा नहीं करती, जाट समाज का आन्दोलन जारी रहेगा।
मलिक ने कहा कि हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री और उनके द्वारा नियुक्त प्रतिनिधियों तथा केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों के साथ संघर्ष समिति द्वारा चार बार जाट समाज की मांगों को लेकर समझौते हुऐ। जिन पर हरियाणा सरकार के प्रतिनिधियों व मुख्यमन्त्री श्री मनोहर संयुक्त रूप से पूरे देश के मीडिया के सामने समझौते की शर्तों को मानने व उनको समयबद्ध समय सीमा में पूरा करने का वायदा किया गया था। लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
ये हैं आरोप?
उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश का आरक्षण, आन्दोलन के दौरान दर्ज मुकदमों की वापिसी, घायलों को मुआवजा, शहीद परिवारों को मुआवजा व उनके आश्रितों को नौकरी एवं केन्द्र में आरक्षण की मांग को पूरा करने का वायदा किया गया था। लेकिन प्रदेश सरकार बार-बार समय सीमा तय करने के बाद भी मुख्य रूप से हरियाणा प्रदेश में आरक्षण व मुकदमों की पूर्ण वापिसी में देरी कर रही है। मार्च 2016 में हरियाणा में जाट सहित 6 जातियों के आरक्षण के बिल पर अदालतों में सही पैरवी ना होने के कारण लम्बित है और पूर्ण रूप से अभी भी सभी मुकदमों की वापसी नहीं हो पायी है। इसी के साथ संघर्ष समिति के राष्ट्रीय महासचिव श्री अषोक बल्हारा के साथ अन्य नवयुवकों पर सी.बी.आई द्वारा फर्जी मुकदमें दर्ज करा जाट समाज के ऊपर दमनचक्र चला कर, उसे आतंकित कर, आन्दोलन को कमजोर करने की सोच रही है। प्रदेश सरकार अपने मन्त्रियों कैप्टन अभिमन्यु, ओम प्रकाष धनकड़ व प्रदेष अध्यक्ष सुभाष बराला द्वारा संघर्ष समिति की समैण में आयोजित रैली पर हमला करा कर प्रमुख पदाधिकारियों की हत्या कराना चाहती थी। बार-बार मांग करने पर भी हमलावरों की गिरफ्तारी, हमले के दौरान सुरक्षा में लगे अधिकारी व उनके संरक्षक मंत्रियों व प्रदेश अध्यक्ष पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
ये हैं मांगे?
संगठन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मांग की है कि हरियाणा सरकार हरियाणा की जनता को उनकी मांगों पर अपना रूख स्पष्ट करे और सभी मांगें निश्चित समय सीमा में पूरा करे।
-हरियाणा सरकार इस बात की समय सीमा तय करे कि हरियाणा सरकार द्वारा विधानसभा में पारित बिल की सभी बाधायें दूर कर कब तक हरियाणा में जाट सहित 6 जातियों को आरक्षण मिल जायेगा और जाट सहित 6 जातियों को बी.सी (बी) में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करे।
-हरियाणा सरकार सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर सभी मुकदमों की वापसी की समय सीमा तय करे और तब तक गिरफ्तारी पर रोक लगायी जाये, जिस प्रकार महाराष्ट्र, गुजरात, कष्मीर व उत्तर प्रदेष की सरकारों द्वारा भी मुकदमें वापिस लिये गये है।
-हरियाणा सरकार अपने वायदे के मुताबिक धरने पर बैठे 7 लोगों की शहादत पर उनके परिवार के सदस्यों को कब तक नौकरी देगी।
-जिस प्रकार से हरियाणा सरकार ने ई.बी.पी.जी. के कण्डीडेटों की कण्डीषनल ज्वाईनिंग करायी है, उसी प्रकार से एस.बी.सी. के तहत चयनित कण्डीडेटों की भी ज्वाईनिंग कराये।
इस तरह होगा आंदोलन
जाट समाज द्वारा 16 अगस्त 2018 से अपनी मांगों के समर्थन में चरणबद्ध तरीके से आन्दोलन की शुरूआत करेगा। उनका कहना है कि जब तक हरियाणा सरकार निम्न माँगों को समय सीमा के अन्तर्गत पूरा नहीं करती, जाट समाज का आन्दोलन जारी रहेगा।
प्रथम चरण के आन्दोलन की शुरूआत 16 अगस्त 2018 से मुख्यमन्त्री श्री मनोहरलाल खट्टर व कैप्टन अभिमन्यु द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में जाट समाज अपना विरोध प्रकट करने के लिये कार्यक्रम स्थलों पर धरना देगा। पहले चरण में आन्दोलन के लिये 9 जिले- रोहतक, झज्जर, दादरी, भिवानी, हिसार, कैथल, जीन्द, पानीपत व सोनीपत चिन्हित किये गये हैं।
-किसी भी समय मात्र एक दिन के निर्देश पर आन्दोलन का दायरा बढ़ाया जा सकता है और किसी भी जिले में मुख्यमन्त्री व कैप्टन अभिमन्यु के कार्यक्रमों में अपना विरोध जाट समाज के लोग जता सकते हैं।
- विरोध धरना कार्यक्रम मुख्यमन्त्री व कैप्टन अभिमन्यु के विधानसभा क्षेत्रों में नहीं किया जायेगा।
-उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, गुजरात व बिहार आदि राज्यों में जाट सम्मेलन आयोजित कर केन्द्र के आरक्षण की मांग के साथ हरियाणा में हुऐ जाट समाज पर अत्याचार व अन्याय को मुद्दा बनाया जायेगा।