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2017 में अदालतों के बड़े फैसले, जिनसे जगी बदलाव की उम्मीद

साल 2017 देश की न्यायपालिका की सक्रियता के लिए याद किया जाएगा। इस साल अदालतों ने ऐतिहासिक फैसले दिए, जो...
2017 में अदालतों के बड़े फैसले, जिनसे जगी बदलाव की उम्मीद

साल 2017 देश की न्यायपालिका की सक्रियता के लिए याद किया जाएगा। इस साल अदालतों ने ऐतिहासिक फैसले दिए, जो चर्चा का विषय रहे। उन पर राजनीति हुई, नोक-झोंक हुई लेकिन इन फैसलों को सराहा गया। इसे न्यायपालिका का साल कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इन फैसलों ने आम जनता के बीच अदालत की छवि को और मजबूती दी।

आइए, जानते हैं कौन से हैं वो बड़े फैसले-

1- तीन तलाक अवैध

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में दिए अपने फैसले में देश में एक बार में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया दिया था। यह धार्मिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम था हालांकि इसका विरोध करने वाले भी कम नहीं थे। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं को राहत देते हुए कहा था कि एक बार में किसी को तलाक देने की प्रथा गलत है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किसी को तलाक देने की प्रक्रिया के बीच में इतना समय होना जरूरी है कि वह अपने फैसले के बारे में दोबारा से सोच सके। लोक सभा में तीन तलाक से जुड़ा बिल भी पास हो गया है। 

2- गुरमीत राम रहीम को सजा

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दो साध्वियों से बलात्कार के जुर्म में अगस्त महीने में दस-दस साल कड़ी कारावार की सज़ा सुनाई। पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने राम रहीम को रेप के एक मामले दोषी पाया था। कोर्ट के आदेश के बाद राम रहीम के आश्रम की तलाशी ली गई जहां से बाद में पुलिस को भारी मात्रा में हथियार मिले।

राम रहीम पर उनके आश्रम में आई महिलाओं ने रेप करने का आरोप लगाया था। इस मामले में कोर्ट ने अगस्त में फैसला सुनाया। फैसले के बाद राम रहीम समर्थकों ने हरियाणा और पंजाब समेत देश के कई हिस्सों में भारी आगजनी की। इस घटना में काफी जानमाल का नुकसान हुआ। जिसके बाद पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने नुकसान हुए संपत्ति को राम रहीम के संपत्ति से वसूलने के आदेश दिए थे।

3- दिवाली पर पटाखे बैन

दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस साल अक्टूबर में पटाखों की बिक्री पर बैन लगाया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सांस लेने का अधिकार सबको है। दिवाली के मौके पर होने वाली आतिशबाजी की वजह से राजधानी और एनसीआर के अन्य शहरों प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में बुजुर्ग और बच्चों को सांस लेने में खासी दिक्कत आती है। इस फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय के सबसे बड़े फैसले में से एक बताया गया था।

4- नाबालिग पत्नी से संबंध बनाना रेप जैसा

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक बड़े फैसले में नाबालिग पत्नी के साथ नाबालिग पति द्वारा संबंध बनाने को रेप की श्रेणी रखने की बात कही। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि नाबालिग के साथ संबंध बनाना रेप की श्रेणी में आता है, भले ही उसका पति भी क्यों न नाबालिग हो। कोर्ट ने बाल विवाह को ऐसे मामलों में उदाहरण बनाया था।

5- आरुषि हत्याकांड में तलवार दंपत्ति बरी

देश के चर्चित आरुषि हत्याकांड मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एतिहासिक फैसला सुनाते हुए अक्टूबर में आरुषि के माता-पिता को सभी आरोपों से बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य इस बात को साबित नहीं करता है कि दलवार दंपत्ति दोषी है इसलिए उन्हें जेल से रिहा किया जाए।

इस फैसले के आने के बाद आरुषि मर्डर केस में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी पर सवाल उठ गया और उसे इस केस का कातिल तक कहा गया।

साल 2008 के नोएडा के फ्लैट में आरुषि और उसके घर में काम करने वाले हेमराज की बेहरमी से हत्या कर दी गई थी। आरुषि का शव उसके कमरे में पड़ा हुआ मिला था जबकि नौकर हेमराज का शव छत पर पड़ा मिला। इस मामले में ही बाद में यूपी पुलिस आरुषि के अभिभावक राजेश और नूपुर तलवार को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, तलवार दंपत्ति को बरी करने के खिलाफ हेमराज की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

6- आय से अधिक संपत्ति पर शशिकला को जेल

तमिलनाडु की मुख्यंत्री बनने के शशिकला के अरमानों पर उस वक्त पानी फिर गया जब देश की सर्वोच्च अदालत ने शशिकला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में चार साल की सज़ा सुनाई।

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद उनकी करीबी शशिकला का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए जोर शोर से उछला। लेकिन, अदालत ने चार साल की कैद के अलावा उन पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसके बाद वे 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। इसी मामले में शशिकला के दो रिश्तेदार इलावरसी और सुधाकरण को भी कोर्ट ने दोषी पाया है और इन्हें भी चार साल की सजा सुनाई गई है।

7- इंडियाज मोस्ट वांटेड शो के एंकर को उम्रकैद

इंडियाज मोस्ट वांटेड शो के एंकर सुहैब इलियासी को अदालत ने 17 साल बाद पत्नी अंजू इलियासी की हत्या का दोषी माना और उसे उम्रकैद की सजा सुनायी। सुहैब इलियासी को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। यह मामला पिछले 17 साल से अदालत में लंबित था।

कड़कड़डूमा की सत्र अदालत ने कहा कि अभियोजन द्वारा पेश साक्ष्यों से स्पष्ट है कि अंजू के शरीर पर चाकू से कई वार किए गए थे। इन गहरे जख्मों की वजह से ही उसकी उपचार के दौरान मौत हुई। अदालत ने यह भी माना कि यह वार सुहेब द्वारा ही किए गए थे।

 

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