चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत पर झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। चारा घोटाले में सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के लिए आज बेहद अहम माना जा रहा था।
गंभीर बीमारियों के बेहतर इलाज के लिए लालू यादव की जमानत अर्जी पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और लंबी चली बहस के बाद कोर्ट ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद की जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया। देवघर, दुमका और चाईबासा मामले में लालू की तरफ से जमानत की अर्जी फाइल की गई थी।
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में रखा लालू का पक्ष
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस अपरेश सिंह की कोर्ट में लालू की पैरवी की। कोर्ट में डेढ़ घंटे तक बहस चली और कपिल सिब्बल ने कोर्ट में लालू का पक्ष रखा। उन्होंने लालू की जमानत की अवधि और उम्र का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी कोर्ट के सामने पेश किया। सिब्बल के बाद सीबीआई ने भी अपनी दलील रखी और बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
पिता की जमानत को लेकर क्या बोले तेज प्रताप
लालू यादव की जमानत को लेकर उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने कहा कि उन्हें कोर्ट के फैसले पर विश्वास है। मेरे पिता निर्दोष हैं। उन्हें जल्द जमानत मिल जाएगी।
इससे पहले टल गई थी सुनवाई
बेहतर इलाज कराने के लिए लालू की तरफ से कोर्ट से जमानत देने की बात कही गई है। पिछली बार 21 दिसंबर को सीबीआई के निवेदन पर कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई तालकर 4 जनवरी की तारीख तय दी थी।
लालू फिलहाल रांची के रिम्स में अपना इलाज करा रहे हैं। राजद सुप्रीमों डायबीटिज, क्रॉनिक किडनी और हार्ट समेत करीब 11 गंभीर बीमारियों का इलाज करा रहे हैं।
हाईकोर्ट में दाखिल की जमानत याचिका
चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव ने रांची हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है। इसमें लालू प्रसाद ने उम्र व बीमारी का हवाला दिया है। जमानत अर्जी में लालू ने बीमारियों के बेहतर इलाज के लिए कोर्ट से जमानत मांगी थी। लालू प्रसाद ने सजा के विरोध में अपील भी की थी। जमानत के लिए उनकी पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने की।
लालू को इन मामलों में मिली है सजा
गौरतलब है कि देवघर कोषागार मामला (आरसी 64 ए/96) में लालू को छह जनवरी 2018 को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई। चाईबासा कोषागार मामला (आरसी 68 ए/96) में कोर्ट ने लालू को 24 जनवरी 2018 को पांच साल की सजा दी। दुमका कोषागार मामला (आरसी 38 ए/96) में 24 मार्च 2018 को लालू को सात-सात साल की सजा सुनाई गई थी।