विपक्षी पार्टियों द्वारा किसान आंदोलन को हवा देने के बाद माओवादी भी इस आंदोलन में कूद पड़े हैं। किसान विरोधी तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी को लेकर आंदोलन को धार देने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया है। यहां के माओवादियों ने भी बंद का समर्थन करते हुए सफल बनाने की अपील की है। झारखण्ड के बड़े इलाके में माओवादियों का प्रभाव है।
ऐसे में उन इलाकों में यातायात व्यवस्था प्रभावित होने की संभावना है। किसान आंदोलन को सत्ताधारी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, वाम दलों का भी समर्थन है। हालांकि माओवादियों के कॉल को देखते हुए बंद के मद्देनजर प्रशासन ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। गृह विभाग के एक वरीय अधिकारी ने कहा कि संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये जायेंगे।
भाकपा माओवादी झारखण्ड-बिहार स्पेशल एरिया कमेटी के प्रवक्ता आजाद ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने के लिए किसानों के आंदोलन का सिलसिला जारी है। 21 दिसंबर को इसका उभार दिखा। जिसके 76 हजार ट्रैक्टर के साथ 1.20 करोड़ किसान के शामिल होने वाला यह आंदोलन विश्व में चर्चित रहा।
बयान में स्पेशल एरिया कमेटी ने कृषि कानूनों की कड़ी निंदा करते हुए जनता से अपील की है कि किसानों के संघर्ष में आगे आयें और इसे रद करने के लिए केंद्र सरकार को मजबूर करें। 26 मार्च को किसानों के बंद को सफल बनायें। नये कृषि कानूनों का मकसद बड़े निगमों, उद्योगपतियों और व्यापारियों को फायदा पहुंचाना है। बाद में छोटे किसान, मजदूरों को खेती से बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा।