विश्व की बदलती सच्चाइयों के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र में सुधार की जोरदार वकालत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि 21वीं सदी में 20वीं शताब्दी के मध्य का रवैया नहीं चल सकता तथा संरा में इस प्रकार सुधार होने चाहिए ताकि सभी पक्षों का संरा में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
पिछले सप्ताह ‘पीटीआई -भाषा’ को दिये विशेष साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि जी-20 ऐसी संस्था है जिसे ‘‘परिणामों और कार्रवाई की उम्मीद में बैठे कई देशों द्वारा’’उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है, भले ही ‘‘वे कहीं से भी प्राप्त हों।’’
जी-20 का वर्तमान अध्यक्ष होने के नाते भारत, नयी दिल्ली में 9-10 सितंबर को इस प्रभावशाली समूह की प्रमुख वार्षिक बैठक की मेजबानी करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा,‘‘विश्व आज बहुध्रुवीय है जहां नियमों पर आधारित ऐसी व्यवस्था बेहद महत्वपूर्ण है जो सभी सरोकारों के लिए जायज और संवेदनशील हो। बहरहाल, संस्थाएं तभी प्रासंगिक रह सकती हैं जब वह बदलते समय के अनुरूप परिवर्तित हों।’
उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी में 20वीं शताब्दी के मध्य का दृष्टिकोण काम नहीं कर सकता। लिहाजा हमारे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को बदलती हुई सच्चाइयों की वास्तविकता को समझने, निर्णय लेने वाले मंचों का विस्तार करने, उनकी प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने और सभी पक्षों की आवाजों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।’’
मोदी ने करीब 80 मिनट तक चले साक्षात्कार में कहा, ‘‘यदि समय रहते इस दिशा में कार्रवाई नहीं की जाती है तो छोटे या क्षेत्रीय मंच अधिक महत्वपूर्ण आकार लेने लगते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से जी-20 उन संस्थाओं में से एक है जिसकी ओर बहुत से देश उम्मीद के साथ देख रहे हैं क्योंकि विश्व परिणाम और कार्रवाई चाहता है, भले ही यह कहीं से भी आयें।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता ऐसे ही महत्वपूर्ण मोड़ पर आयी है। उन्होंने कहा, ‘‘’इस संदर्भ में वैश्विक रूपरेखा के भीतर, भारत की स्थिति विशेष तौर पर प्रासंगिक हो गयी है। विभिन्नता वाले एक देश, लोकतंत्र की जननी, युवाओं की सबसे बड़ी आबादी के घर और विश्व का विकास इंजन होने के कारण भारत को संसार के भविष्य को गढ़ने के लिए बहुत कुछ योगदान देना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जी-20 ने भारत को एक ऐसा मंच प्रदान किया है जिससे मानव केंद्रित उसके दृष्टिकोण तथा समूची मानवता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों के अभिनव समाधान के लिए किए जाने वाले सहयोगात्मक कार्य को आगे बढ़ाने का मौका मिला है। ’’
भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र, विशेषकर संरा सुरक्षा परिषद में सुधार पर बल देता आ रहा है। नयी दिल्ली, सुरक्षा परिषद सुधार को लेकर अंतर सरकारी बातचीत में सार्थक तेजी नहीं आने को लेकर विशेष रूप से खिन्न है। भारत संरा सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता का एक मजबूत दावेदार है।
वर्तमान में संरा सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य और 10 ऐसे गैर स्थायी सदस्य देश होते हैं जिनका चयन संरा महासभा में दो वर्ष के कार्यकाल के लिए होता है।
रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका पांच स्थायी सदस्य हैं और ये देश किसी भी महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर वीटो लगा सकते हैं।
विश्व की वर्तमान वास्तविकताओं को समाहित करने के उद्देश्य से काफी लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग की जा रही है ।