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कुतुब मीनार 'विष्णु स्तम्भ' नहीं है, मंदिरों के पुनर्निर्माण की मांग बेमानी: पूर्व एएसआई अधिकारी में दिया बड़ा बयान

एएसआई के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक बी आर मणि ने विहिप के इस दावे को 'मात्र कल्पना' करार दिया कि कुतुब...
कुतुब मीनार 'विष्णु स्तम्भ' नहीं है, मंदिरों के पुनर्निर्माण की मांग बेमानी: पूर्व एएसआई अधिकारी में दिया बड़ा बयान

एएसआई के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक बी आर मणि ने विहिप के इस दावे को 'मात्र कल्पना' करार दिया कि कुतुब मीनार मूल रूप से एक 'विष्णु स्तम्भ' था और आगाह किया कि परिसर में संरचनाओं के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ होने से यूनेस्को द्वारा इसे प्राप्त विश्व धरोहर का दर्जा रद्द हो सकता है।

हालांकि, मणि ने कहा कि यह एक तथ्य है कि 27 हिंदू मंदिरों को साइट पर ध्वस्त कर दिया गया था और उनके अवशेषों का उपयोग कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और कुतुब मीनार के निर्माण में भी किया गया था, लेकिन इन मंदिरों के पुनर्निर्माण की मांग "निरर्थक" है। साइट पर इन मंदिरों के स्थान का कोई निशान नहीं था।

विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने शनिवार को मांग की कि सरकार कुतुब मीनार परिसर में सभी 27 हिंदू मंदिरों का पुनर्निर्माण करे और हिंदू अनुष्ठानों को फिर से शुरू करने की अनुमति दे। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने यह भी दावा किया कि 73 मीटर ऊंची कुतुब मीनार मूल रूप से एक हिंदू शासक के समय में निर्मित भगवान विष्णु के मंदिर पर एक ‘विष्णु स्तंभ’ था।

विहिप के दावे के बारे में पूछे जाने पर मणि ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘‘मैं भी यह मानता हूं कि 27 मंदिर थे। इसके समर्थन में सबूत हैं और इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है। लेकिन कोई नहीं जानता कि वे 27 मंदिर कहां स्थित थे, उनका स्वरूप क्या था, संरचना क्या थी। उन्होंने कहा कि यह कुतुब-दीन ऐबक के शिलालेख पर लिखा है कि कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण स्थल पर ध्वस्त किए गए 27 मंदिरों के मलबे का उपयोग करके किया गया था।

तीन दशकों से अधिक समय से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से जुड़े रहे मणि वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सोसायटी के उपाध्यक्ष हैं जो पुरातत्व के बारे में सभी पहलुओं में ज्ञान को बढ़ावा देता है और उसका प्रसार करता है। 

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