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राजस्थान में गौरक्षा के नाम पर हत्या और 10% गौसेवा सरचार्ज

गौरक्षा के नाम पर बढ़ती गुंडागर्दी और अलवर में गौवंश ले जाते व्यक्‍त‍ि की हत्‍या के आरोपों के बीच राजस्‍थान से एक और खबर आई है। गौसेवा हेतु धन जुटाने के लि‍ए राजस्‍थान सरकार ने 10 प्रतिशत सेस लगा द‍िया है। एक अप्रैल से यह सेस गैर-न्यायिक स्‍टाम्‍प पर सरचार्ज के तौर पर वसूला जाएगा।
राजस्थान में गौरक्षा के नाम पर हत्या और 10% गौसेवा सरचार्ज

राजस्‍थान सरकार के वित्त विभाग ने गत 31 मार्च को गौ-रक्षा सेस की अधिसूचना जारी की है। यह सेस संपत्ति बिक्री, रेंट एग्रीमेंट आदि में इस्‍तेमाल होने वाले गैर-न्यायिक स्टाम्‍प पर लागू होगा। इससे पहले राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने बजट भाषण में कहा था कि इस सरचार्ज का उपयोग गौशालाओं को बेहतर करने के लिए किया जाएगा।

राज्‍य की गौशालाओं में तकरीबन 5 लाख से ज्यादा गौवंश मौजूद हैं, ज‍िनके संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्‍य सरकार को कम से कम 200-500 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। राजस्थान देश का सबसे पहला राज्य है, जहां गोपालन व‍िभाग बनाया गया था। राजस्‍थान के गोपालन एवं सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने गत 2 मार्च को विधानसभा में बताया था कि प्रदेश में 2185 पंजीकृत गौशालाएं हैं। इनमें से 1,148 अनुदान-योग्य गौशालाओं को 5 लाख 59 हजार गौवंशों केे लि‍ए अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए 141.48 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।

गोपालन व‍िभाग होने के बावजूद जयपुर में प्रदेश की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला हजारों की तादाद में गायों की मौत और उनकी दुर्दशा को लेकर खबरों में रहती है। पिछले वर्ष उचित देखभाल और चारे के अभाव में कुछ सप्ताहों के भीतर ही वहांं हजारों गायों की मौत हो गई थी। तब गोपालन न‍िदेशालय, पशुपालन विभाग और नगर निगम ने इन गायों की देखभाल करने में असमर्थता जताई थी। बाद में राज्य सरकार ने हिंगोनिया गौशाला का प्रबंधन अक्षय पात्र फाउंडेशन को सौंप दिया था।

 

 

 

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