कृषि कानूनों की वापसी को लेकर दिल्ली में चल रहे किसान आंदोनल के क्रम में ट्रैक्टर रैली की हवा झारखण्ड में भी आ गई है। यहां भी ट्रैक्टर रैली होगी। मगर इसका आयोजन कांग्रेस पार्टी ने किया है। केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश के आलोक में इसका आयोजन किया जा रहा है। हालांकि इसके पूर्व भी कांग्रेस ने इसी सप्ताह देवघर से गोड्डा तक विशाल ट्रैक्टर रैली निकाली थी। कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर कहते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य इकाइयों को किसान आंदोलन के समर्थन में 20 से 28 फरवरी के बीच किसान सम्मेलन आयोजित करने का निर्देश दिया है। उसी आलोक में 20 फरवरी को राज्यव्यापी किसान सम्मेलन सह ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया जा रहा है। समर्थक किसानों से कहा गया है कि रैली में शामिल होने के लिए ट्रैक्टर से आयें।
किसानों आंदोलन के बहाने कांग्रेस किसानों में पैठ बनाना और बढ़ाना चाहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए किसानों के आंदोलन में कूद पड़ी है। राज्यव्यापी किसान सम्मेलन के पूर्व प्रदेश में 10 फरवरी को सभी प्रखंडों में अधिवेशन होगा। कृषि कानूनों की वापसी को लेकर 13 फरवरी को जिला मुख्यालयों में दस से बीस किलोमीटर की पदयात्रा भी होगी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव की अध्यक्षता में प्रदेश पदाधिकारियों, जिला व मोर्चा के अध्यक्षों की बैठक में यह निर्णय किया गया और नेतृत्व के निर्देश से अवगत कराते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने का फैसला किया गया। मूल मकसद किसान आंदोलन को ताकत प्रदान करना है। कांग्रेस कोटे के राज्य के राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख को किसानों के समर्थन में किये जा रहे आंदोलन का संयोजक बनाया गया है। यह बात अलग है कि झारखण्ड में कृषि और खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग कांग्रेस के पास है मगर किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने को लेकर परेशान हैं। खरीद की मुकम्मल व्यवस्था न होने से बड़ी संख्या में किसान अपना धान औने-पौने बेचने को मजबूर हैं। लगभग आधी कीमत पर। ऐसे में सवाल है कि किसान सम्मेलन कर झराखण्ड के कांग्रेसी क्या संदेश देना चाहते हैं।