आखिरकार ईस्टर्न पेरिफेरल एक्स्प्रेस वे की तमाम मुश्किलें समाप्ति हो ही गईं। हाल ही में गौतमबुद्ध नगर के किसानों से समझौता होने के बाद अब गाजियाबाद के किसानों ने भी अपनी अधिग्रहीत भूमि के बदले मुआवजा उठा लिया है। इन किसानों की जमीन दस साल पूर्व अधिग्रहीत की गई थी मगर मुआवजे की राशि को कम बता कर किसानों ने अपने चेक नहीं लिए थे। किसानों द्वारा अपनी जमीन का कब्जा भी नहीं दिए जाने के कारण केंद्र की इस महत्वकांक्षी योजना का काम उत्तर प्रदेश में शुरू ही नहीं हो पा रहा था। जबकि निकटवर्ती प्रदेश हरियाणा में वेस्टर्न पेरिफेरल के रूप में इस योजना का कार्य समाप्ति की ओर है। हाल ही में सर्वोच्य न्यायालय द्वारा फटकार लगाने पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने किसानों से समझोते की पहल की और अंततः विवाद का निपटारा हो ही गया ।
किसान नेता मनोज नागर ने बताया कि गाजियाबाद की जिलाधिकारी निधि केसरवानी से हुई वार्ता के बाद किसानों ने 3700 रुपए की दर से मुआवजा उठाने पर सहमति दे दी है। जनपद के तेरह गांवों के किसानों की भूमि इस मार्ग में आ रही है। उधर गौतमबुद्ध नगर में भी 39 गांवों की जमीन इस मार्ग के लिए अधिग्रहण की गई थी मगर वहां के किसान भी प्राधिकरण द्वारा दिया गया मुआवजा लेने को तैयार नहीं थे। हाल ही में जिलाधिकारी एनपी सिंह के साथ एक बैठक में किसानों ने 3500 रुपए की दर से मुआवजा उठा लिया। इसी के साथ ही इस एक्स्प्रेस वे की तमाम अड़चने अब दूर हो गई हैं। बता दें कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अपनी इस योजना का काम वर्ष 2015 से ही शुरू करने की कोशिश में था मगर उसे अब जाकर सफलता मिली है ।
135 किलोमीटर लंबा यह मार्ग छः लेन का बनना है और इसे दिल्ली के रिंग रोड के रूप में विकसित किया जा रहा है ताकि दूसरे प्रांतो से आने वाले वाहन दिल्ली में कम से कम होकर गुजरें। एक अनुमान के अनुसार इस मार्ग से प्रतिदिन एक लाख वाहन गुजर सकते हैं। कुंडली से शुरू होकर यह मार्ग उत्तर प्रदेश में बागपत में खेकड़ा, गाजियाबाद में मुरादनगर व डासना और गौतमबुद्ध नगर जनपद में दादरी और कासना से होकर गुजरेगा जबकि हरियाणा में पलवल, फरीदाबाद और सोहना होते हुए वापिस कुंडली में मिलेगा। उत्तर प्रदेश में इस मार्ग पर दो जगह यमुना नदी और एक स्थान पर हिंडन नदी पर पुल बनेगा। इस पर कुल 43 ब्रिज भी बनाए जाएंगे। अन्य स्थानों से जुड़ाव के लिए यह मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग 1 , 2 , 8 ,10 , 24 , 58 और 91 को छूता हुआ भी गुजरेगा। इस मार्ग पर दो टोल ब्रिज बनाने की भी प्राधिकरण की योजना है। तमाम अड़चनें दूर हो जाने के बाद अब प्राधिकरण के साथ-साथ केंद्र सरकार ने भी राहत की सांस ली है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस योजना को अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में देखना चाहते हैं।