दरअसल, यह खुलासा एक आरटीआई के जवाब में हुआ, जिसमें बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2012 से 2017 के पांच वर्षों के दौरान गोरक्षा व गो सेवा के अनुदान में से 86 फीसद सिर्फ अपर्णा यादव की संस्था ‘जीव आश्रय’ दिया गया। इतना ही नहीं, 2012-15 के दौरान आयोग से अनुदान पाने वाली यह एकमात्र संस्था रही। यह एनजीओ राजधानी में अमौसी के पास कान्हा उपवन गौशाला को चलाता है, जिसका मालिकाना हक लखनऊ नगर निगम के पास है।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरटीआई के तहत सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा मांगी गई सूचना पर गो सेवा आयोग के पीआईओ डॉ. संजय यादव ने बताया कि वर्ष 2012 से 2017 तक 5 साल के दौरान आयोग ने 9 करोड़ 66 लाख रुपये का कुल अनुदान जारी किया, जिसमें 8 करोड़ 35 लाख रुपये (86.4%) सिर्फ अपर्णा यादव के ‘जीव आश्रय’ एनजीओ को ही दिए गए। साल 2012-13, 2013-14, 2014-15 के दौरान अपर्णा यादव की संस्था ‘जीव आश्रय’ को 50 लाख, 1 करोड़ 25 लाख और 1 करोड़ 41 लाख रुपये का अनुदान दिया गया। इसके बाद साल 2015-16 में अपर्णा के एनजीओ को 2 करोड़ 58 लाख और 2016-17 में 2 करोड़ 55 लाख रुपये का ग्रांट दिया गया।
एएनआई के मुताबिक, इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने कहना है, 'समाजवादी सरकार के शासनकाल में 80 फीसदी से ज्यादा का आर्थिक अनुदान एक विशेष एनजीओ को दिया गया। ये बड़े पैमाने पर हुए राजनीतिक पक्षपात और भाई-भतीजावाद का उदाहरण है।’
Lease of land given to Aparna Yadav's org, initially for 3 years, was later extended to 5 yrs during SP's rule: Nutan Thakur, activist pic.twitter.com/ZnV6TtGGNA
— ANI UP (@ANINewsUP) 3 July 2017
गौरतब है कि मौजूदा समय 2017-18 में आयोग की तरफ से कई गौशालाओं को 1 करोड़ 5 लाख रुपये दिए गए, लेकिन जीव आश्रय को कुछ भी नहीं मिला। ललितपुर के दयोदया गोशाला को सबसे ज्यादा 63 लाख रुपए मिले।