पश्चिम बंगाल के सभी दुर्गा पूजा पंडाल को प्रवेश निषेध क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। सोमवार को ये फैसला एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस अरिजीत बनर्जी की बेंच ने सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि किसी भी आने-जाने वाले को पंडाल के भीतर प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि बड़े पंडाल में प्रवेश द्वार से दस मीटर की दूरी पर बैरिकेड किया जाना अनिवार्य है, जबकि छोटे पंडालों में ये दूरी पांच मीटर की होगी। पंडाल के भीतर पूजा आयोजन समितियों से जुड़े सिर्फ 15 से 25 लोग ही प्रवेश करने की अनुमति होगी। पूजा के दौरान पंडाल में सिर्फ आयोजक के लोग ही प्रवेश कर सकेंगे। इसके लिए राज्य पुलिस को नियम सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने होंगे।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आयोजकों के नामों की एक सूची पंडाल के बाहर लगानी होगी और केवल वही लोग पंडाल के भीतर प्रवेश कर सकेंगे। पश्चिम बंगाल में 40 हजार से अधिक दुर्गा पूजा समितियां हैं, जिनमें से सिर्फ राजधानी कोलकाता में तीन हजार से अधिक पूजा समिति है।