इसके पहले, आयोग ने केवल चार सीटों पर ही चुनाव की घोषणा की थी जिससे योगी समेत प्रदेश के पांच मंत्रियों, जो अभी तक राज्य विधायिका के सदस्य नहीं हैं, में से किसी एक तुलनात्मक कनिष्ठ मंत्री की कुर्सी जाना तय माना जा रहा था।
नियमानुसार, किसी भी मंत्रिमंडल सदस्य का प्रदेश विधानसभा या विधान परिषद् का सदस्य होना आवश्यक है। यह सदस्यता पद ग्रहण करने के 6 महीने के अन्दर लेनी चाहिए। क्योंकि, योगी मंत्रिमंडल ने मार्च 19, 2017 को शपथ ग्रहण किया था, इसलिए उनके पास सितम्बर 18 तक यह प्रक्रिया पूरी करने की बाध्यता है। योगी के अलावा उनके मंत्रिमंडल के 4 अन्य सदस्य क्रमशः दोनों उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्या और दो अन्य मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और मोहसिन राजा, अभी तक प्रदेश की विधायिका का हिस्सा नहीं हैं।
इसके पहले, सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) नें अपने इन पांचों मंत्रियों को विधायिका का सदस्य बनाने हेतु परोक्ष रास्ता चुना, जिसका अभिप्राय विधान परिषद् सदस्य बनना है। परन्तु, अभी तब चुनाव आयोग ने परिषद् की केवल 4 सीटों पर ही चुनाव की घोषणा की थी, जिससे ये प्रबल संभावना थी कि या तो इन पांचों मंत्रियों में से कोई इस्तीफा दे या फिर विपक्ष के किसी मनोनीत (nominated) सदस्य का इस्तीफा सुनिश्चित किया जाए और यह पद अपने मंत्री को दिलवाया जाए।
परन्तु, चुनाव आयोग ने मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी (BSP) पार्टी नेता ठाकुर जयवीर सिंह द्वारा रिक्त विधान परिषद् सीट पर भी चुनाव करने की घोषणा कर दी।
बता दें कि आयोग ने पहले ही चार सीटों पर चुनाव की घोषणा कर दी थी। ये चारों सीटें समाजवादी पार्टी सदस्य क्रमशः बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, सरोजिनी अग्रवाल एवं अशोक बाजपाई द्वारा रिक्त हुई थीं। जयवीर सिंह समेत इन चारों नेताओं नें भाजपा का दामान थाम लिया है।