देश में लोकसभा चुनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश भाजपा नेतृत्व जहां एक ओर रणनीति बनाने में जुटा है। वहीं, भाजपा नेत्री डॉ दीप्ति भारद्वाज ने नेतृत्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। अपने फेसबुक वाल पर उन्होंने एक पोस्ट की है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि केशव जी के हाथ प्रदेश की कमान दी होती तो न तो इतने जातीय सम्मेलन करने पड़ते और न ही कार्यकर्ताओं के मन में क्षोभ होता।
उन्होंने पोस्ट में लिखा है कि शिक्षकों और शिक्षा मित्रों का एक बड़ा वर्ग जो आरएसएस और भाजपा से जुड़ा था, उसमें गहरी निराशा फैली है। शिक्षामित्रों की समस्या कश्मीर समस्या बना दी। हिंदुत्व की जगह जातिवाद पसर गया। यही राष्ट्रवाद की वीभत्स परिणति है क्या? ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान संभव न हो, बस ईमानदार कोशिश चाहिए।
डॉ. दीप्ति भारद्वाज भाजपा में मीडिया पैनलिस्ट थीं। इससे पूर्व भी उन्होंने महिलाओं से संबंधित अपराध पर विवादित ट्वीट किया था। जिस कारण पार्टी की ओर से घोषित नई मीडिया टीम में उन्हें जगह नहीं दी गई है। इस बारे में भाजपा के कई पदाधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन वह अपनी राय रखने से बचते नजर आए। हालांकि प्रदेश अनुशासन समिति के सदस्य और मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि उनसे बातचीत की जाएगी और देखा जाएगा कि क्या समस्या है और अगर जरूरत पड़ेगी तो कार्यवाही की जाएगी।