सामाजिक कार्यकर्ता और विचार नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या के मामले की जांच कर रही केंद्रीय और राज्य एजेंसियों को बंबई हाइकोर्ट ने गुरुवार को फटकार लगाई है। हाइकोर्ट ने कहा कि अधिकारी इसे अत्यावश्यक रूप में नहीं ले रहे हैं जबकि देश ‘‘दुखद स्थिति’’ से गुजर रहा है जहां कोई भी किसी से बात नहीं कर सकता या स्वतंत्र नहीं घूम सकता।
जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने कहा कि वह जांच से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने महाराष्ट्र सीआइडी तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की तरफ से पेश ‘गोपनीय रिपोर्ट’ को वापस कर दिया और कहा कि इन रिपोर्ट में कुछ भी गोपनीय नहीं है।
बेंच ने कहा कि देश में लोग ‘‘दुखद स्थिति’’ का सामना कर रहे हैं जहां कोई बात नहीं कर सकता या स्वंतत्र नहीं घूम सकता और फिर भी उपर्युक्त मामलों में अधिकारी तात्कालिकता नहीं दिखा रहे हैं या हत्याओं की जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में सुबह की सैर के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पानसरे को 16 फरवरी 2015 को कोल्हापुर में गोली मारी गई थी और 20 फरवरी को अस्पताल में उनकी मौत हो गई। सीबीआइ और सीआइडी क्रमश: दाभोलकर और पानसरे हत्या की जांच कर रही हैं।
दाभोलकर और पानसरे के परिजनों द्वारा कोर्ट के नियंत्रण में जांच कराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि हम काफी नाराज हैं। कोई सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए हैं। वे (हत्याओं की जांच कर रहे अफसर) ऐसे संवेदनशील मामलों में पूरी तरह से अक्षम और असंवेदनशील रहे हैं। बेंच ने कहा कि हम आज देश में दुखद चरण का गवाह बन रहे हैं। नागरिक यह महसूस करते हैं कि वे अपनी चिंता या बात निडरता से नहीं कह सकते हैँ। क्या हम यह दिन देखने की ओर बढ़ रहे हैं जब हर व्यक्ति को कहीं घूमने या स्वतंत्र रूप से बोलने के लिए पुलिस सुरक्षा की जरूरत पड़ेगी।