Advertisement

एमपी में तेंदूपत्ता संग्राहकों को बांटे जा रहे जूते-चप्पल में कैंसर कारक रसायन, वितरण पर रोक

तेंदूपत्ता संग्राहकों को बांटे जा रहे जूते-चप्पल में कैंसर कारक रसायन के इस्तेमाल की खबर से मध्य...
एमपी में तेंदूपत्ता संग्राहकों को बांटे जा रहे जूते-चप्पल में कैंसर कारक रसायन, वितरण पर रोक

तेंदूपत्ता संग्राहकों को बांटे जा रहे जूते-चप्पल में कैंसर कारक रसायन के इस्तेमाल की खबर से मध्य प्रदेश में  बवाल मच गया है।  सरकार ने जूते-चप्पलों के वितरण पर रोक लगा दी है।  कहा जा रहा है कि सरकार ने अब तक करीब दस लाख जूते-चप्पल बांट चुकी है और दस लाख और बांटना है।  सरकार ने जूते-चप्पल सप्लाई का काम चार नामी कंपनियों को दिया है, जिसमें से एक कंपनी के जूते-चप्पल में खतरनाक रसायन के इस्तेमाल की रिपोर्ट आई है।  मध्यप्रदेश सरकार ने ही  केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान, चेन्नई से  जूते-चप्पल के सैंपल की जांच कराई थी।  

भोपाल के एक स्थानीय अख़बार में जांच रिपोर्ट छपने के बाद सरकार पर कांग्रेस ने हमला बोल दिया।  आनन-फानन में शनिवार को वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मामले में स्पष्टीकरण दिया।  उन्होंने कहा कि हमने जूते चप्पलों के वितरण पर रोक लगा दी है और करीब 2.35 लाख जूते-चप्पल बदलने के लिए कंपनी को कहा है। वन मंत्री ने केमिकल रसायन के बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया।  वन मंत्री ने कहा कि जितने भी जूता चप्पल बांटा गया है, उसमें बिलकुल भी खतरनाक रसायनिक पदार्थ नहीं पाया गया है, जिससे किसी तरह का खतरा हो। हमने निर्धारित प्रक्रिया के तहत टेंडर कराए और फिर जूता चप्प्ल खरीदी की गई। हमने 11 लाख जोड़ी जूते-चप्पल खरीदे, इसमें चर्म रोग अनुसंधान संस्थान, चेन्नई की रिपोर्ट आने के बाद 2.35 लाख जूते रिजेक्ट कर दिए गए हैं। दो लाख एजेडओ केमिकल के कारण और 35 हजार खराब क्वालिटी के कारण रिजेक्ट हुए हैं। हमने कंपनी को 2 लाख जूते चप्पलों में सुधार करके देने को कहा है, इसके साथ ही 35 हजार जूते पूरी तरह से बदलने के लिए कहा गया है। सरकार ने कंपनियों से चप्पल 131 रुपये और जूते 175 रुपये प्रति नग की दर से खरीदी है। सरकार ने 11 लाख 11 हजार चप्पल और 11 लाख 23 हजार जूते सप्लाई के आदेश कंपनियों को दिए थे।  

केन्द्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केजे श्रीराम की रिपोर्ट के मुताबिक  जूते-चप्पल के अंदर काले रंग के तलवे (इनर सोल) में एजेडओ रसायन मिला है। पांव में कांटा लगने, कटने या छाले पडऩे पर यह शरीर में चला जाता है। पसीना आने पर भी यह रसायन त्वचा में जा सकता है। नतीजन त्वचा का कैंसर होने की आशंका ज्यादा रहती है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय 23 जून 1997 को एजेडओ डाई रसायन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा चुका है। 

मुख्यमंत्री ने 20 मई को शिवपुरी के पोहरी में बड़ा कार्यक्रम कर तेंदूपत्ता संग्राहकों को जूते-चप्पल, पानी बॉटल और साड़ी बांटने की शुरुआत की थी। सरकार अब तक करीब 10 लाख आदिवासियों को जूते-चप्पल बांट चुकी है। हालांकि अब लघु वनोपज संघ ने वितरण रोक दिया है। संघ के पास अभी लगभग 11 लाख जूते-चप्पल बांटने के लिए स्टॉक में हैं। सरकार ने जूते-चप्पल बांटने का काम 22 मई से शुरू कर दिया था, जबकि केन्द्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान को जांच के लिए सैंपल 18 जून को भेजे गए। 27 जून को संस्थान ने रिपोर्ट में बताया कि इन जूते-चप्पल से पहनने वालों को कैंसर होने की आशंका है। मप्र लघु वनोपज संघ अध्यक्ष महेश कोरी का कहना है कि जांच रिपोर्ट क्या आई है मुझे नहीं पता। खरीदी के समय अधिकारियों ने कहा था कि जूते-चप्पल स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि जूते-चप्पल बांटने की योजना कमीशनखोरी के लिए की गई। ये बेहद शर्म की बात है और इसकी बड़ी जांच होनी चाहिए, लाखों तेंदूपत्ता  संग्राहक आदिवासी भाई-बहनों को शिवराज सरकार द्वारा बांटे गये जूते-चप्पलों में केंद्रीय चर्म संस्थान की रिपोर्ट मे कैंसर की संभावना वाले रसायन के मिलने का खुलासा, चिंतनीय, आखिर जान से खिलवाड़ की इजाजत कैसे? 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad