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डिप्टी सीएम केशव मौर्य बोले- समान नागरिक संहिता लागू करने पर यूपी सरकार गंभीरता से कर रही है विचार

अब उत्तर प्रदेश में भी समान नागरिक संहिता (कॉमन सिविल कोड) लागू करने की चर्चा शुरू हो गई है। डिप्टी सीएम...
डिप्टी सीएम केशव मौर्य बोले- समान नागरिक संहिता लागू करने पर यूपी  सरकार गंभीरता से कर रही है विचार

अब उत्तर प्रदेश में भी समान नागरिक संहिता (कॉमन सिविल कोड) लागू करने की चर्चा शुरू हो गई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है।

मौर्य ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा, ‘‘एक देश में एक कानून सबके लिए हो, इसकी आवश्यकता है।'' उन्होंने कहा कि जिस तरह उत्तराखंड सरकार ने कदम उठाए हैं, यूपी और अन्य राज्यों में भी जहां भाजपा की सरकार है, वहां समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए। अगर सबका साथ सबका विकास चाहिए तो कॉमन सिविल कोड जरूरी है और यह एक ऐसी चीज है जिसकी सबको मांग करनी चाहिए और सबको स्वागत करना चाहिए।'

मौर्य ने कहा, "एक देश में सभी के लिए एक कानून समय की जरूरत है। यह आवश्यक है कि हम एक व्यक्ति के लिए एक कानून और दूसरे के लिए दूसरे कानून की व्यवस्था से बाहर निकलें। हम एक समान नागरिक संहिता के पक्ष में हैं।" डिप्टी सीएम ने कहा, "उत्तर प्रदेश सरकार इस दिशा में गंभीरता से सोच रही है।"

उन्होंने कहा, 'लेकिन जब हर जगह वोट बैंक की बात होती है तो यह तुष्टिकरण की राजनीति को जरूर दिखाता है। लेकिन हम इसके पक्ष में नहीं हैं।' यूपी चुनावों में चुनाव प्रचार के दौरान, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पूरे देश के लिए एक कानून के पक्ष में बात की थी और कहा था कि इस मामले को सही समय पर उठाया जाएगा।

हाल के विधानसभा चुनावों के बाद उत्तराखंड सरकार के गठन के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में पहली कैबिनेट बैठक में राज्य में समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का निर्णय लिया गया। अपनी पहली कैबिनेट बैठक के बाद, धामी ने कहा था कि उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने वाला पहला राज्य होगा, हालांकि, साथ ही उऩ्होंने कहा था कि"शायद यह पहले से ही गोवा में लागू है"।

धामी ने कहा था कि 'हम एक विशिष्ट सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के साथ एक हिमालयी राज्य हैं। हम दो देशों के साथ सीमा भी साझा करते हैं। इसलिए समान नागरिक संहिता जरूरी है। संविधान के अनुच्छेद 44 में इसका प्रावधान है। यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने भी इसे लागू न करने पर अतीत में अपना असंतोष व्यक्त किया है।' हालांकि, विशेषज्ञ इस बात पर बंटे हुए थे कि क्या कोई राज्य सरकार समान नागरिक संहिता लागू कर सकती है.वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव ने, हालांकि, समान नागरिक संहिता का आह्वान किया है, यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ उनकी बढ़ती निकटता के एक और संकेत के रूप में देखी जा रही है।

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