पंजाब में आम आदमी पार्टी का टूटना लगभग तय हो गया है। पार्टी के कुल 20 विधायकों में से 7 सुखपाल खैहरा के समर्थन में खुलकर आगे आ गए हैं। खैहरा को विधानसभा में विपक्ष के नेता पद से हटाए जाने के बाद से पार्टी में बगावत के सुर तेज हो गए हैं।
सोमवार को गढ़शंकर (होशियारपुर) से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक जय सिंह रोड़ी ने भी पार्टी हाईकमान से बागी हुए सुखपाल खैहरा ग्रुप के समर्थन का ऐलान किया है। जय सिंह रोड़ी ने अपने फेसबुक पेज पर खैहरा के समर्थन का ऐलान करते हुए लिखा है कि मैं अपना जमीर, हलका गढ़शंकर के वालंटियर्स और समूह पंजाबियों की भावनाओं के अनुसार आज पंजाब के हितों के लिए खड़े सुखपाल खैहरा का साथ देने का ऐलान करता हूं। उनके इस ऐलान के बाद खैहरा के समर्थक विधायकों की गिनती 7 हो गर्इ है।
इससे पहले हलका खरड़ से विधायक कंवर संधू, मौड़ मंडी से जगदेव सिंह कमालू, रायकोर्ट से जगतार सिंह जग्गा, जैतों से विधायक मास्टर बलदेव सिंह, मानसा से नाजर सिंह और भदौड़ से पिरमल सिंह खैहरा के समर्थन का ऐलान कर चुके है। चंडीगढ़ में खेहरा की प्रेस कांफ्रेंस में शामिल हुए रोड़ी ने कहा वे खेहरा व उनके समर्थन में अन्य विधायकों के साथ खड़े हैं।
खेहरा से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भगवंत मान होंगे प्रधान
विधायक सुखपाल खैहरा के कारण दो धड़ों में बंटी आप के डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी हाईकमान ने भगवंत मान को दोबारा प्रदेश प्रधान बनाकर सामने लाने का फैसला किया है। आप नेताओं ने दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती मान से जाकर मुलाकात की। पंजाब की कमान मान को फिर से संभालने की पेशकश की गई जिसे भगवंत मान ने मान लिया।
बता दें, मान ने पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था जो मंजूर नहीं हुआ था। हालांकि डॉ. बलवीर सिंह को पार्टी का कार्यकारी प्रधान नियुक्त किया हुआ है।
बागियों पर फैसला 13 के बाद
बठिंडा में 2 अगस्त को हुई खैहरा की पार्टी कन्वेंशन के बाद अब आम आदमी पार्टी ने 13 अगस्त को जालंधर में पार्टी की बैठक रखी है। इस बैठक में पार्टी के सभी विधायकों और ओहदेदारों को बुलाया गया है ताकि पार्टी में चल रहे मौजूदा संकट पर विचार-विमर्श किया जा सके। खैहरा और समर्थक 7 विधायकों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर कार्रवाई 13 अगस्त की बैठक के बाद की जाएगी। ।
खैहरा की पार्टी हाईकमान को चुनौती
आम आदमी पार्टी के विधायक सुखपाल सिंह खैहरा पर महिला और दलित विरोधी होने के जो आरोप विरोधी दल के नेता हरपाल सिंह चीमा और सरबजीत कौर माणुके ने लगाए हैं। उनके जवाब में सुखपाल खैहरा ने कहा है कि वे कभी भी महिला और दलित विरोधी नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि पंजाब में किसान और दलित एक साथ बैठकर खाते-पीते हैं। गुरुजी की शिक्षाओं के चलते सिख धर्म जात-पात से ऊपर उठ चुका है। खैहरा ने कहा कि उन्हें विरोधी दल के नेता के पद का कोई लालच नहीं है। वे तो इसे छोड़ ही चुके हैं और अब यह पद लेना भी नहीं चाहते लेकिन अगर पार्टी हाईकमान किसी दलित को ही यह पद देना चाहती है तो पार्टी में काबिलियत वाले तीन दलित विधायक हैं, जिन्हें यह पद दिया जा सकता है। इनमें जैतों से विधायक मास्टर बलदेव सिंह, भदौड़ से पिरमल सिंह खालसा और रायकोट से जगतार सिंह जग्गा शामिल हैं। इन तीनों में से किसी को भी विरोधी दल के नेता का पद देने से उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा।
हाईकमान के कहने पर लगाए जा रहे आरोप
खैहरा ने कहा कि पार्टी हाईकमान बौखला चुकी है। हाईकमान की बातों में आकर ही उन पर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने चैलेंज किया कि हाईकमान के जो नेता उन पर दलितों का सम्मान न करने का आरोप लगवा रहे हैं, वो साबित करें कि वो दलितों का कितना सम्मान करते हैं। इसके लिए पार्टी के तीन सुप्रीम पदों कन्वीनर, दिल्ली के सीएम और डिप्टी सीएम के पदों में से एक पर भी किसी दलित को बिठा दे तो मान जाएंगे कि वो दलितों का सम्मान करते हैं।
विधानसभा में विपक्ष की उपनेता सरबजीत कौर माणुके को जवाब देते हुए खैहरा ने कहा कि आज वो कह रही हैं कि वे महिला विरोधी हैं। असल में जब वो विरोधी दल के नेता बने थे, तो उन्होंने ही माणुके को विरोधी दल की डिप्टी लीडर बनाने के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी। उसके बाद सभी ने इस पर सहमति जताई लेकिन अब माणुके मुझ पर आरोप लगा रही हैं। खैहरा ने कहा कि उन पर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वो सभी बौखलाहट में लगाए जा रहे हैं। असल में जो लोग उन पर आरोप लगा रहे हैं, वो कभी 500 लोग भी इकटठे नहीं कर पाए, जबकि उनकी बठिंडा रैली में 40-50 हजार लोग इकट्ठे हुए थे। उन्होंने कहा कि इसे देखकर हाईकमान और उनके समर्थक एमएलए बौखला गए हैं। इसी बौखलाहट में ये लोग उन पर ऐसे आरोप लगाने लगे हैं।