महेश चौधरी
कोटा के थर्मल पॉवर प्लांट्स में कोयले की भारी कमी के चलते राजस्थान पर बिजली का संकट आ पड़ा है। राज्य सरकार को करीब 6 माह पहले इस बात के लिए सजग कर दिया गया था कि बिजली के लिए कोयले की भारी कमी होने वाली है, लेकिन सरकार ने किसी भी तरह से उस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया, नतीजा आज से प्रदेशभर में बिजली कटौती शुरू हो गई है।
आपको बताते चलें कि राजस्थान में मांग के मुताबिक रोजना कम से कम 10 हजार मेगावाट बिजली की जररूत होती है। करीब दो साल पहले राजस्थान विधानसभा में बीजेपी के ही वरिष्ठ विधायक और प्रदेश के पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी के साथ ही सत्तापक्ष के विधायक प्रहलाद गुंजल ने सरकार को इस बात के लिए आगाह किया था कि कोटा थर्मल पॉवर प्लांट्स की हालत बेहद नाजुक है। मजेदार बात यह है कि अपने ही विधायकों की उस गंभीर चेतावनी को सरकार ने दरकिनार किया। पार्टी में बगावती तेवर अपनाने के चलते हाशिये पर चल रहे विधायक तिवाड़ी ने तथ्यों के साथ सदन को बताया था कि राज्य सरकार कोयले की कमी, रख-रखाव नहीं कर पाने का बहाना और पुराने हो चुके थर्मल प्लांट्स को नकारा कहकर प्लांट को निजी हाथों में देने की साजिश रच रही है। इसको लेकर उन्होंने भारी विरोध भी किया था, लेकिन सत्ता बड़े बहुमत में होने व कांग्रेस द्वारा उनका साथ नहीं देने के कारण तिवाड़ी की बात को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया।
इस साल हो गई थी हालत पतली
सरकार ने अपने आंकड़े पेश करते हुए सदन को बताया था कि कोटा के थर्मल पॉवर प्लांट्स लगातार घाटे का सौदा हो रहे हैं इसलिए सरकार इनको राज्य के हित को देखते हुए निजी हाथों में देने पर विचार कर रही है। बिजली विभाग के सूत्र बताते हैं कि कोटा थर्मल पॉवर प्लांट्स पर कॉरपोरेट घरानों की टेढ़ी नजर है। जिसके चलते अड़ानी, अम्बानी सरीखे उद्योगपतियों के साथ सरकार की एक बड़ी डील इस मामले को लेकर प्रस्तावित हो चुकी थी, लेकिन सदन में विरोध और मीडिया में आई खबरों के बाद सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा। बाजजूद इसके आजतक सरकार ने यहां पर कोयले की आपूर्ति को लेकर कोई कदम नहीं उठाया। कोटा के दिग्गज बीजेपी विधायक प्रहलाद गुंजल ने कई बार सरकार को इस बारे में चेतावनी दी। करीब 6 माह पूर्व गुंजल ने साफ कहा था कि अब भी सरकार नहीं चेती तो आने वाले कुछ माह में राज्य बड़े बिजली संकट से गुजरने वाला। आज गुंजल की बात सही साबित हो रही है। सरकार ने कोयला खरीद पर कभी ध्यान नहीं दिया। बिजली विभाग के सूत्रों की मानें तो सरकार आज भी इन प्लांट्स को निजी हाथों में सौंपने का अपना निर्णय नहीं बदल पाई है, जिसके चलते साजिश के तहत कोयले की खरीद नहीं कर इन प्लांट्स को लगातार घाटे का सौदा बताना चाहती है, ताकि अपनी मंशा पूरी की जा सके।
गांव में 3 और शहर में 2 घंटे के लिए कटौती
सरकारी आदेश के मुताबिक जिला मुख्यालय और नगर पालिका क्षेत्र में जहां 2 घंटे बिजली कटौती होगी, वहीं ग्रामीण इलाकों में रोजाना 3 घंटे बिजली काटी जाएगी। किसानों के लिए रात को 11 से 4 बजे तक होने वाली थ्री फेज सप्लाई अब दिन में सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक होगी। मजेदार बात यह भी है कि इस आदेश के बाद भी संशय जताते हुए जरूरत के मुताबिक और कटौती की संभावना जताई गई है। विपक्ष ने सरकार के इस फैसले को राज्य के विकास में बाधक बताकर अपनी भूमिका की रश्म अदायगी भर कर ली है।
रोजाना 200 लाख युनिट की कमी
आज की तारीख में राजस्थान में हर रोज 22 सौ लाख युनिट बिजली खपत होती है। सरकार का कहना है कि हम 2000 लाख की आपूर्ति करने में सक्षम हैं, लेकिन कोटा थर्मल पॉवर प्लांट्स में कोयले की कमी के चलते 200 लाख युनिट बिजली सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। मतलब साफ है कि राज्य में इतनी बिजली कम पड़ेगी। बता दें कि सरकारी आकलन के मुताबिक बिजली कटौती से राज्य में रोजाना 50 से लेकर 70 लाख युनिट बिजली की बचत होगी, लेकिन यह नहीं बताया गया है कि 150 से 130 लाख युनिट बिजली कहां से ली जाएगी।
सरकार के पास पैसे ही नहीं है
एक साल पहले वित्त विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के सरकार के पास केवल 900 करोड़ रुपयों की नगदी शेष बची थी। इसके बाद भी सरकार की आय में लगातार कमी आती रही है। दो माह पहले अचानक अड़ानी ग्रुप के चेयरमैन गोतम अड़ानी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात कर कोयले के पेटे बकाया पैसे का तकादा किया था। पैसे के लिए रात को अचानक अड़ानी के आने से राज्य के अफसरों के हाथ-पांव फूल गए थे। बताया जाता है कि कोयले की आपूर्ति का गड़बड़झाला तभी से चरम पर है। हालांकि सीएम ने अड़ानी से उधारी चुकाने के लिए समय मांग लिया था, लेकिन उस वक्त अड़ानी ने साफ कहा था कि पैसे नहीं चुकाने के कारण अब और कोयले की आपूर्ति करने में वो सक्षम नहीं होंगे। सरकार ने उसके बावजूद कोयले की अन्य स्रोत से खरीद करने की जहमत नहीं उठाई। नतीजा यह है कि राज्य को आज भारी बिजली संकट से गुजरना पड़ रहा है।
खेती-किसानी के लिए सबसे अहम समय
रबी की फसल की बुआई राजस्थान में चरम पर है। इस वक्त सरसों, राई, जौ, चना गेंहु, तारामीरा जैसी पानी वाली फसलों की बुआई के साथ ही पिलाई के लिए बिजली सप्लाई बेहद जरूरी है। आने वाले एक माह में राज्य को खेती के लिए और अधिक बिजली चाहिए, लेकिन साफ नजर आ रहा है कि राज्य सरकार की कटौती घोषणा किसानों के लिए सिरदर्द बनने वाली है। इससे भी गंभीर बात यह है कि बिजली की कमी के चलते कम रकबे में बुआई होगी, यानि इस बार रबी की बुआई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है।